शंकरी चौधुरी, हाइलाकांदी, 31 मई:
एक दिन की बारिश ने हाइलाकांदी शहर की पूरी जलनिकासी व्यवस्था की पोल खोल दी। नालों के जाम होने से पूरा शहर जलमग्न हो गया है। सड़कें और गलियाँ जलभराव में डूबी हुई हैं, और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
‘आकांक्षी जिला’ घोषित किए गए हाइलाकांदी में विकास की बड़ी-बड़ी बातें अक्सर नेताओं और मंत्रियों द्वारा की जाती हैं। किंतु ज़मीनी सच्चाई यह है कि हल्की से मध्यम बारिश भी शहर को जलप्रलय में बदल देती है।
स्वास्थ्य सेवाएं भी बाढ़ की चपेट में
शहर के संतोष कुमार राय सिविल अस्पताल में बारिश का पानी घुस गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जिला मीडिया विशेषज्ञ मनिका दास ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के कारण अस्पताल के ओपीडी परिसर में जलभराव हो गया है। हालत यह है कि एक्स-रे और सीटी स्कैन जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी पानी में डूब गए हैं। मरीजों की चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह बाधित हो गई हैं। ओपीडी को अस्थायी रूप से कॉन्फ्रेंस हॉल में स्थानांतरित किया गया है।
कृत्रिम बाढ़ बना प्रशासन की विफलता का प्रतीक
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हालात प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा हैं। उनका आरोप है कि पौर परिषद की निष्क्रियता और त्रुटिपूर्ण जलनिकासी प्रणाली के कारण शहर में कृत्रिम बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है। लोग पौर वार्डों से पानी की तत्काल निकासी और दीर्घकालिक समाधान की मांग कर रहे हैं।
नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
घाड़मुड़ा क्षेत्र की धलेश्वरी नदी और माटिजुरी के पास काटाखाल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे हालात और भी गंभीर हो गए हैं।
प्रशासन ने जारी की सतर्कता चेतावनी
जिला प्रशासन ने लगातार बारिश को देखते हुए भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नागरिकों से टिला और पहाड़ी क्षेत्रों में अनावश्यक आवाजाही, खुदाई और निर्माण कार्यों से बचने की सलाह दी है। साथ ही किसी भी आपात स्थिति में नज़दीकी स्कूल या राहत शिविरों में शरण लेने का अनुरोध किया गया है।
हाइलाकांदी की यह स्थिति केवल एक जल संकट नहीं, बल्कि विकास के खोखले दावों पर सवाल है। जब तक बुनियादी ढांचे की मजबूती और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित नहीं होती, तब तक शहर हर बारिश में डूबता रहेगा।





















