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बराक घाटी की चाय उद्योग पर दोहरी मार — पहले सूखा, अब बाढ़ ने पूरी तरह से तोड़ा कमर; सरकार से तत्काल राहत की अपील

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विशेष प्रतिनिधि शिलचर, 4 जून: बराक घाटी का चाय उद्योग इस वर्ष पहले से ही भयंकर सूखे की मार झेल रहा था, जिससे उत्पादन और रोजगार पर बुरा असर पड़ा था। अब हालिया बाढ़ ने इस संकट को और भी गंभीर बना दिया है। कई चाय बागान जलमग्न हो चुके हैं, सम्पर्क मार्ग कट चुके हैं और उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है।
यह उद्योग न केवल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ है, बल्कि लाखों लोगों के रोजगार का स्रोत भी है। चाय बागान के श्रमिकों, प्रबंधन और स्थानीय व्यापारियों के सामने आज आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
इस विकट परिस्थिति में बाद घाटी के चाय उद्योग के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व डीएम ग्रुप ऑफ़ टी कंपनी के आवासीय निदेशक कमलेश सिंह ने राज्य सरकार, विशेषकर माननीय मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वशर्मा से अपील किया हैं कि वे इस उद्योग को बचाने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाएं। राहत पैकेज, पुनर्वास योजनाएं और बागानों को पुनर्जीवित करने हेतु सहायता इस समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
सरकार की ओर से त्वरित हस्तक्षेप ही इस संकटग्रस्त उद्योग और इससे जुड़े लाखों परिवारों की आशा बन सकता है।
मणिपुर टी एस्टेट बाढ़ की चपेट में — लगभग 70% क्षेत्र जलमग्न
हाइलाकांदी, 4 जून: मणिपुर टी एस्टेट में हाल ही में ली गई तस्वीरें जहां सुबह के समय बागान का सामान्य दृश्य दिखाई दे रहा था, अब अतीत की बात लगती हैं। भारी वर्षा और बाढ़ के कारण वर्तमान में वहां न तो कोई सड़क बची है और न ही बागानों में प्रवेश का कोई मार्ग शेष है।
लगभग 70 प्रतिशत समतल क्षेत्र पूरी तरह पानी में डूब गया है, जिससे करीब 280 हेक्टेयर क्षेत्रफल जलमग्न हो चुका है। इससे चाय बागानों को भारी नुकसान पहुंचा है, और उत्पादन पूरी तरह से ठप पड़ गया है।
स्थानीय प्रबंधन के अनुसार, स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है और राहत एवं पुनर्वास कार्य बाधित हो रहा है, क्योंकि अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुंच ही नहीं हो पा रही है।
बागान कर्मियों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए प्रयास जारी हैं, लेकिन लगातार बारिश और जलभराव के चलते चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं।
रतनपुर टी एस्टेट में बाढ़ का कहर, सभी सड़क संपर्क टूटे, 250 हेक्टेयर चाय बागान जलमग्न
4 जून, 2025 — आज दोपहर की स्थिति के अनुसार, मोहनपुर क्षेत्र में बंधे के टूटने के बाद कवारपार बाजार से पानी तेजी से चिबिटा-बिचिया और नुनापानी गार्डन क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है। इस बीच रतनपुर टी एस्टेट के लिए हालात और गंभीर हो गए हैं, जहां जल स्तर घटने के बजाय उल्टे पानी का बैक फ्लो हो रहा है जिससे संकट और बढ़ गया है।
आज सुबह से रतनपुर टी एस्टेट का चारों ओर से सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट गया है, जबकि यहां तक पहुंचने के चार वैकल्पिक मार्ग मौजूद थे। कटखाल नदी का पानी मोहनपुर-बुंदूकमारा रोड को तोड़ते हुए चाय बागान की ओर बह रहा है।
मोहनपुर रोड पर बना यह ब्रीच पॉइंट है जो हैलाकांदी जिला अंतर्गत आता है, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से मरम्मत हेतु कोई कदम नहीं उठाया गया है।
पिछले 24 घंटों में रटनपुर टी एस्टेट में 22.5 इंच रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है। बाढ़ के चलते लगभग 250 हेक्टेयर चाय बागान क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। स्थिति बेहद भयावह और दयनीय है, जिससे बागान प्रबंधन और श्रमिकों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
प्रशासन की ओर से राहत व बचाव कार्यों को लेकर चिंता जताई जा रही है और स्थानीय लोग लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं। हालात पर नियंत्रण के लिए युद्धस्तर पर प्रयासों की आवश्यकता है।
दर्बी चाय बागान की स्थिति भी खराब है। भारी बारिश से कई क्षेत्र डूब गए हैं। जल निष्कासन की व्यवस्था कमजोर होने के चलते चाय के पौधों का जीवन संकट में है। प्रकृति की विनाश लीला से चाय उद्योग सहमा हुआ है।

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