काठीघोड़ा, 7 जून — एक ओर जहां असम के लोग बाढ़ की मार झेल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ज़रूरतमंद और गरीबों के लिए सालभर की एकमात्र सहारा माने जाने वाली ‘अरुणोदय योजना’ में गड़बड़ियों को लेकर काठीघोड़ा विधानसभा क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। बाढ़ की विपरीत परिस्थिति में भी स्थानीय लोग योजना के हिताधिकारियों के चयन में भारी अनियमितता के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं।
कछार ज़िले के काठीघोड़ा विधानसभा क्षेत्र के सोनापुर ग्राम पंचायत (पूर्व में बरखला विधानसभा क्षेत्र में) के पहले खंड से ऐसी कई गंभीर शिकायतें सामने आई हैं, जिसमें बताया गया है कि विधवा, बुजुर्ग और दिव्यांग जैसे वास्तविक पात्र लोगों को इस योजना से वंचित कर दिया गया है। इसके विपरीत, कथित रूप से पैसों के लेनदेन के ज़रिए आर्थिक रूप से सक्षम और अपात्र लोगों को सूची में शामिल कर दिया गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह “अरुणोदय सिंडिकेट” एक सुनियोजित घोटाले की तरह काम कर रहा है, जिसमें पैसों के बदले नाम शामिल किए जा रहे हैं, और जिनका नाम सूची में आ भी गया है, उन्हें आवेदन फॉर्म तब तक नहीं दिया जा रहा जब तक वे पैसे नहीं चुकाते।
और हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद न तो स्थानीय विधायक कुछ कह रहे हैं और न ही राज्य सरकार के मंत्री कोई कार्रवाई कर रहे हैं। खासकर जब दिव्यांग लोगों ने शिकायतें दर्ज कराईं, तो जनप्रतिनिधियों ने उनके साथ उपहासपूर्ण व्यवहार किया — ऐसा आरोप है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि:
- आखिर क्यों पात्र लाभार्थियों को सिर्फ पैसे ना देने के कारण योजना से वंचित किया जा रहा है?
- क्यों इस गड़बड़ी की जांच करने से बच रहे हैं बराक घाटी के मंत्री और विधायक?
- और क्यों इस पूरे मामले पर सरकार चुप्पी साधे हुए है?
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है ताकि दोषियों को सजा दी जा सके और जरूरतमंद लोगों को उनका हक मिल सके।





















