यह हमारे देश के लिए बहुत ही गौरव की बात है कि हमारा देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और अब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन यानी आईएसएस जा रहे हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वे 14 दिनों के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहेंगे तथा अंतरिक्ष यान स्पेसएक्स रॉकेट के ज़रिए फ्लॉरिडा के नासा केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा। कहना ग़लत नहीं होगा कि उनकी इस यात्रा की सफलता पर एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों की नजरें टिकी हुई हैं।पाठकों को बताता चलूं कि इस कमर्शियल मिशन में पहली बार कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट शामिल हो रहा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार शुभांशु शुक्ला के साथ तीन और एस्ट्रोनॉट इस मिशन में भेजे जा रहे हैं और यह हमारे देश के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा। ऐतिहासिक इसलिए क्यों कि 41 साल बाद हमारा एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जा रहा है। दरअसल, शुभांशु ऐसे दूसरे भारतीय हैं जो अंतरिक्ष यात्रा पर जा रहे हैं।बहरहाल,यहां पाठकों को बताता चलूं कि इससे पहले राकेश शर्मा पहले भारतीय थे, जो वर्ष 1984 में रूसी मिशन के तहत स्पेस में गए थे। पाठकों को बताता चलूं कि शुभांशु शुक्ला उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं तथा उनकी स्कूलिंग लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज से हुई है। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार 17 जून 2006 को उनको भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में शामिल किया गया था तथा वह एक शानदार फाइटर पायलट और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास 2,000 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस है।उन्होंने सुखोई-30 एमकेआइ, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 जैसे कई फाइटर जेट्स उड़ाए हैं।मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन की पोस्ट पर प्रमोट किया गया।वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर भी हैं। वर्ष 2019 में इसरो ने शुभांशु को भारत के पहले ह्यूमन स्पेस मिशन गगनयान के लिए चुना गया था। दरअसल इस मिशन के लिए क्रमशः चार एस्ट्रोनॉट्स शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को चुना गया था। गगनयान की तैयारी के लिए शुभांशु ने वर्ष 2019-2021 तक रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में सख्त ट्रेनिंग ली तथा इसके बाद 27 फरवरी 2024 को उनको एक्सिओम मिशन-4 के लिए ऑफिशियली चुना गया। बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि यह अभियान पहले मई के आख़िरे हफ़्ते में जाना था, फिर इसे आठ जून को अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना होना था, लेकिन ख़राब मौसम की वजह से ये अभियान 11 जून को लॉन्च होने की संभावना थी। लेकिन जानकारी के अनुसार अब तकनीकी कारणों से इसे आगे के लिए टाल दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स बतातीं हैं कि एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला की आइएसएस यात्रा लिक्विड ऑक्सीजन लीक के कारण टल गई है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि यह मिशन एक्सियम स्पेस नाम की अमेरिकी कंपनी, नासा और स्पेस एक्स के साथ मिलकर ऑपरेट किया जा रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि नासा के अलावा इस मिशन में भारत के इसरो, पौलेंड के ईएसए और हंगरी के हंगेरियन टू ऑरबिट सहयोग दे रहे हैं। इसमें चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। मिशन कमांडर हैं-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन जिन्हें पांच बार अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव प्राप्त है। वास्तव में, एक्सियम-4 मिशन एक कमर्शियल स्पेस फ़्लाइट है तथा ह्यूस्टन की कंपनी एक्सियम स्पेस इस अभियान को चला रही है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये की कीमत चुकाई है। पाठकों को बताता चलूं कि एक्सिमय-4 मिशन को भारत के गगनयान अभियान के लिहाज़ से अहम बताया जा रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इस मिशन से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को अपने मानव मिशन(गगनयान मिशन) की दिशा में मदद मिल सकेगी। गौरतलब है कि गगनयान मिशन भारत का अपना पहला स्वदेशी मानव मिशन है, जिसमें एक भारतीय को भारतीय रॉकेट के ज़रिए श्रीहरिकोटा स्टेशन से, यदि सबकुछ ठीक रहा तो, वर्ष 2027 में अंतरिक्ष भेजा जाएगा। वास्तव में वर्तमान में जो मिशन अंतरिक्ष में भेजा जाना है,वह एक प्रकार से गगनयान मिशन की ओर छोटे-छोटे कदम बढ़ाने जैसा है, क्यों कि इस मिशन से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को बहुत कुछ सीखने की उम्मीदें हैं। जानकारी के अनुसार इसरो के पास अभी तक ह्यूमन स्पेस फ़्लाइट का अनुभव नहीं है। जैसा कि मानव मिशन एक मुश्किल व चुनौतीभरा काम है, ऐसे में इस मिशन से हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में फायदे मिल सकेंगे ऐसी उम्मीदें जताई जा रहीं हैं। जानकारी के अनुसार इस मिशन में साइंस, आउटरीच और कमर्शियल एक्टिविटीज़ पर फ़ोकस होगा। शुभांशु शुक्ला समेत एक्सियम-4 की टीम बीज अंकुरण और अंतरिक्ष में पौधे कैसे उगते हैं, इस पर भी अध्ययन करेगी। वास्तव में अंतरिक्ष में लगभग ज़ीरो ग्रैविटी पर पौधे कैसे उगते हैं और इन पौधों में क्या विशेषताएं होंगी, ये भी जानने की कोशिश की इस मिशन के अंतर्गत की जाएगी। यहां पाठकों को बताता चलूं कि भारत ने अंतरिक्ष में वहां से वापस आने वाले एस्ट्रो-बायोलॉजी के एक्सपेरिमेंट नहीं किए हैं। पहली बार ये होगा जब भारत कोई एक्सपेरिमेंट भेज जा रहा है, जो अंतरिक्ष से वापस भी आएंगे और यह भारत का इस क्षेत्र में पहला अभूतपूर्व कदम होगा। इस मिशन में करीब 60 साइंटिफ़िक एक्सपेरिमेंट किए जाने हैं, जो एक्सियम के पिछले तीन मिशनों में नहीं किए गए थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के वैज्ञानिकों ने इनमें से सात एक्सपेरिमेंट का सुझाव दिया है। जानकारी के अनुसार सात के अलावा भी पांच ऐसे एक्सपेरिमेंट भी हैं जो इसरो और नासा मिलकर करेंगे। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि आज भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व के बड़े देशों जैसे कि अमेरिका, रूस और चीन के समकक्ष एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। पाठक जानते हैं कि भारत अपने मंगल, चंद्र और आदित्य अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है। पाठकों को बताता चलूं कि भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के तहत 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी और यह मिशन चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बाद भारत का तीसरा चंद्र मिशन था। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जिससे भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। इसी प्रकार से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने 6 जनवरी 2024 को देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया था। बहरहाल, यदि आगे भी सब कुछ अच्छा चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश भारत आने वाले दस सालों में यानी कि वर्ष 2035 तक अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने और वर्ष 2040 में चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने में सफल हो पाएगा। वास्तव में कहना ग़लत नहीं होगा कि आज पूरी दुनिया में इसरो की पहचान एक ऐसी स्पेस एजेंसी के रूप में बन चुकी है, जो बहुत कम खर्च में बड़ी सफलता हासिल कर सकती है। इसरो ने अब तक अनेक देशों के (30 से अधिक देशों) तीन सौ से भी ज्यादा विदेशी सैटेलाइटों को लांच किया है, जिनमें अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर जैसे देश भी शामिल रहे हैं। वर्तमान मिशन अंतरिक्ष के क्षेत्र में भावी रणनीतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है।कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले समय में हमारा इसरो अंतरिक्ष के क्षेत्र में और भी बड़े कीर्तिमान स्थापित करेगा और हम अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व का सिरमौर देश होंगे।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
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