हाइलाकांदी, 12 जून:
जब हाइलाकांदी जिले में बाढ़ की विभीषिका ने जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, तब भय और असहायता के उस दौर में एक नाम आशा की किरण बनकर उभरा—गुलेनुर हुसैन मजूमदार। अल-अमीन इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन और एक समर्पित समाजसेवी के रूप में, उन्होंने न केवल संकट में घिरे लोगों की मदद की, बल्कि मानवता की एक जीवंत मिसाल भी पेश की।
प्राकृतिक आपदा के उस दौर में, जब सैकड़ों परिवार अपना घर, भोजन और सुरक्षा खो चुके थे, गुलेनुर हुसैन मजूमदार ने अपने संस्थान के द्वार पीड़ितों के लिए खोल दिए। अल-अमीन इंस्टीट्यूट अस्थायी राहत शिविर में तब्दील हो गया, जहां ना केवल सुरक्षित आश्रय मिला, बल्कि भोजन, स्वास्थ्य और गरिमा के साथ जीने की उम्मीद भी मिली।
गुलेनुर मजूमदार की अगुवाई में कटलीछोरा और हाइलाकांदी क्षेत्र के विभिन्न राहत शिविरों में हजारों जरूरतमंदों के बीच भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की गई। उनकी पहल पर अल-अमीन फाउंडेशन फॉर एजुकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के कार्यकर्ताओं ने दिन-रात काम कर सैकड़ों असहाय परिवारों के चेहरों पर मुस्कान लौटाई।
उन्होंने जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के सहयोग से कई बाढ़ पीड़ित परिवारों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। यह सिर्फ एक राहत कार्य नहीं, बल्कि मानवता की सच्ची सेवा का उदाहरण है।
गुलेनुर हुसैन मजूमदार का यह योगदान केवल आपदा प्रबंधन तक सीमित नहीं है। शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अनुकरणीय रहा है। उनकी प्रेरणा से समाज को यह सीख मिलती है कि—जब मानवता संकट में हो, तब एक व्यक्ति भी परिवर्तन की मशाल बन सकता है।
आज जब दुनिया में संवेदनशीलता और सेवा की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है, तब गुलेनुर हुसैन मजूमदार जैसे लोग यह सिद्ध करते हैं कि एकजुटता, सेवा और साहस ही मानवता की सबसे बड़ी ताकत हैं।




















