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बटद्रवा थान परियोजना दिसम्बर में होगी राष्ट्र को समर्पित : मुख्यमंत्री

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गुवाहाटी, 12 जून (हि.स.) । असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा की उपस्थिति में प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह को ‘श्रीमंत शंकरदेव पुरस्कार 2023’ से सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह गुवाहाटी के पांजाबारी स्थित ‘श्रीमंत शंकरदेव अंतरराष्ट्रीय सभागार’ में आयोजित हुआ।

1986 में स्थापित यह पुरस्कार पत्रकारिता, कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली हस्तियों को महापुरुष श्रीमन्त शंकरदेव के पवित्र नाम पर दिया जाता है। इसमें प्रशस्ति पत्र, स्वर्ण पदक, अंगवस्त्र और पांच लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने डॉ. सोनल मानसिंह को बधाई देते हुए कहा, “भारतीय शास्त्रीय नृत्य की विश्वविख्यात साधिका को यह सम्मान असम की जनता के लिए गर्व की बात है। उनकी नृत्य साधना ने न केवल सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया, बल्कि सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरणीय संतुलन जैसे विषयों को भी मंच पर उठाया।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि डॉ. मानसिंह ने ‘सेंटर फॉर इंडियन क्लासिकल डांसेज’ की स्थापना कर युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि शंकरदेव जी की शिक्षाएं सार्वभौमिक भाईचारे और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक हैं। असम सरकार द्वारा उनके जन्मस्थान बटद्रवा में 200 करोड़ रुपये की लागत से ‘शंकरदेव सांस्कृतिक परिसर’ का निर्माण अंतिम चरण में है, जिसे दिसंबर में राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के योगदानों पर अध्ययन हेतु जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, विश्व भारती विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय में उनके नाम की पीठ की स्थापना हो चुकी है। साथ ही तेजपुर विश्वविद्यालय में भी एक पीठ स्थापित की जाएगी।

उन्होंने बताया कि बटद्रवा से कूचबिहार तक 21 धार्मिक स्थलों को जोड़कर धार्मिक पर्यटन सर्किट विकसित किया जा रहा है, जिनमें बरदुवा, धुवाहाट-बेलागुरी, मधुपुर, चिलाराय गृह (फुलबाड़ी) आदि शामिल हैं।

डॉ. सरमा ने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र द्वारा उनके जीवन व कार्यों पर बहुभाषीय पुस्तक का प्रकाशन किया जा रहा है, जिसे असमिया, हिंदी, अंग्रेजी, बोडो, राभा, तिवा, देउरी, कार्बी, नेपाली, मिसिंग, डिमासा सहित अन्य भाषाओं में अनूदित किया जाएगा। कलाक्षेत्र के विकास हेतु 100 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि डॉ. सोनल मानसिंह जैसी विभूति को यह सम्मान भावी पीढ़ियों को शंकरदेव जी की विरासत, करुणा और समावेशिता के बारे में जानने और अपनाने की प्रेरणा देगा।

सम्मान ग्रहण करते हुए डॉ. मानसिंह ने कहा कि असम से उनका पुराना संबंध है और वैष्णव दर्शन ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया है। उन्होंने बरगीत की समृद्ध परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि वे इसे अपने नृत्य में समाहित करने के नए प्रयास करेंगी।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बिमल बोरा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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