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दिल्ली, 18 जून: कायस्थ प्रगति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. बी. के. मल्लिक ने कहा कि पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कायस्थों के कुलदेवता भगवान चित्रगुप्त का अपमानजनक संबोधन किया है जो कि बिलकुल अनुचित है तथा इससे करोड़ों कायस्थों की भावनाएं आहत हुई हैं। प्रदीप मिश्रा जी को यह मालूम होना चाहिए जब सृष्टि का निर्माण हुआ था उस समय में यह कार्य भगवान सूर्यदेव के पुत्र यमराज को दिया गया लेकिन माङव्य ऋषि को यमराज द्वारा गलत दंड मिलने के कारण ब्रह्माजी ने हजारों वर्ष तपस्या के बाद उनके द्वारा भगवान चित्रगुप्त का अवतार हुआ और समस्त प्रणियों का कर्म का लेखा जोखा चित्रगुप्त जी को दिया गया। भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रम्हा जी की काया से हुआ था।पद्म पुराण में उत्तराखण्ड के श्लोक (22/5(1-2) के अनुसार धर्मराज, यमराज और चित्रगुप्त आदि शक्ति परमेश्वर परम पुरुष विभिन्न कार्यो के लिए अलग-अलग से निर्धारित हैं । सृष्टि के समस्त प्राणियों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले एवं प्राणियों द्वारा पृथ्वी पर किए गए समस्त कर्मो का न्याय-संगत विचार कर उनके भविष्य का निर्धारण करने वाले श्री चित्रगुप्त न्यायाधीश हैं। जब भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था उस समय चित्रगुप्त जी को निमंत्रण नहीं मिलने के कारण उनसे माफी मांगे जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण अयोध्या में धर्म हरि मंदिर है। जिसके बारे में कहा जाता है कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन के बाद धर्महरि में दर्शन करने के बाद पूरा फल मिलता है।
डॉ. बी. के. मल्लिक ने कहा कि पंडित प्रदीप मिश्रा चर्चा में रहने के कारण लोगों को भ्रमित करते है कुछ समय पहले उन्होंने राधाजी के बारे में गलत टिप्पणी किया था और बाद में उन्होंने माफी मांगे। ये गूगल से देखकर प्रवचन देते है जबकि पंडितों और कथावाचक को धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार प्रवचन देना चाहिए। कथावाचक के विचार को सभी हिन्दू सही मानते है और उन्हें गुरु भी बनाते है और उन्हें अपना आदर्श मानते है।




















