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सरकारी व निजी साइनबोर्ड से गायब है बांग्ला, डीसी को ज्ञापन सौंपा BNS ने

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शिलचर, 21 जून (राजू दास)।
बराक घाटी में बांग्ला भाषा के सम्मान और अधिकार की रक्षा के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई बांग्ला नवनिर्माण सेना (BNS)। असम भाषा अधिनियम, 1961 के तहत बराक में बांग्ला भाषा को प्राथमिकता देने की माँग को लेकर शुक्रवार को BNS के एक प्रतिनिधि मंडल ने कछार के उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।

BNS ने बताया कि बराक क्षेत्र में 80% से अधिक लोग बांग्ला भाषी होने के बावजूद कई सरकारी और निजी कार्यालयों में बांग्ला भाषा में साइनबोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शिलचर के पर्यटन विकास कार्यालय में बांग्ला का नामोनिशान नहीं है, जो न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि बांग्लाभाषियों का अपमान भी है।

स्मारक पत्र में वर्ष 1961 के भाषा आंदोलन में शहीद हुए 11 आंदोलनकारियों के बलिदान को याद करते हुए संगठन ने कहा कि बांग्ला भाषा की उपेक्षा करना हमारे इतिहास और सांस्कृतिक अधिकारों पर सीधा हमला है।

BNS ने यह भी आरोप लगाया कि कई निजी बैंक, स्कूल और दुकानें भी बांग्ला के बजाय अन्य भाषाओं का प्रयोग कर रही हैं। संगठन ने प्रशासन से तीन प्रमुख माँगें रखीं:

  1. सभी सरकारी कार्यालयों में बांग्ला में साइनबोर्ड लगाना अनिवार्य किया जाए।
  2. निजी संस्थानों को जागरूक करने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए जाएं।
  3. बांग्ला को प्राथमिकता न देने वालों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जाए।

प्रतिनिधि मंडल में राजदीप भट्टाचार्यसुमन देदुलाल भौमिकस्वप्न देव और ध्रुव चक्रवर्ती शामिल थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “बांग्ला केवल एक भाषा नहीं, बल्कि बराकवासियों की आत्मपहचान है” और आवश्यकता पड़ने पर जन आंदोलन छेड़ने की चेतावनी भी दी।

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