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शिलचर, 26 जून: सोमवार सुबह से ही जाटिंगा-हरांगाजाओ सड़क पर स्थित जाटिंगा लमपुर स्टेशन के पास गंभीर भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। करीब 150 मीटर तक सड़क गायब हो चुकी है, जबकि 100 मीटर रेलवे ट्रैक की मिट्टी और पत्थरों के नीचे दब गई है। उल्लेखनीय है कि यह क्षेत्र पहले से ही “सिंकिंग ज़ोन” के रूप में जाना जाता है।
जहां एक ओर रेलवे विभाग ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मंगलवार से मरम्मत कार्य में तेजी ला दी है, वहीं दूसरी ओर सड़क मार्ग की बहाली को लेकर लोक निर्माण विभाग और जिला प्रशासन की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। रेलवे की ओर से दर्जनों हाई-मास्ट लाइट, बड़ी-बड़ी मशीनें, ब्रिज इक्विपमेंट और सैकड़ों श्रमिकों को काम पर लगाया गया है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को प्रशासन की ओर से एक एडीसी और पीडब्ल्यूडी के कुछ अधिकारियों ने स्थल का निरीक्षण जरूर किया, लेकिन उसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखी। बुधवार को नाहर (NHAI) के प्रतिनिधियों के आने की बात कही गई थी, लेकिन वे भी नहीं पहुंचे।
स्थिति यह है कि बुधवार को सड़क की हालत और भी खराब हो गई, क्योंकि मंगलवार रात और बुधवार सुबह की बारिश ने नुकसान को और बढ़ा दिया। सड़क मार्ग की इस दुर्दशा का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगत रहे हैं दूरदराज से आए मालवाहक ट्रक चालक।
पांच सौ से अधिक ट्रक फंसे, कोई व्यवस्था नहीं
जाटिंगा से महूर तक करीब 500 से अधिक ट्रक पिछले कई दिनों से फंसे हुए हैं। इनमें मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और शिलचर के ट्रक शामिल हैं। अधिकांश ट्रकों में आलू, प्याज़, आम, सेब जैसे नाशवान फल-सब्ज़ियाँ लदी हुई थीं। कई ट्रक चालक स्थिति को देखते हुए अपने वाहन वापस गुवाहाटी ले गए, लेकिन बाकी चालक और वाहन मालिक भारी असमंजस में हैं।
बुधवार को जब संवाददाता ने कुछ ट्रक चालकों से बातचीत की, तो उन्होंने बताया, “हम छह-सात दिन से यहां फंसे हुए हैं। खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है। लेकिन प्रशासन की तरफ से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिली है।”
प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक
जिले की ओर से केवल “रोड क्लोज़” का बोर्ड लगाकर और कुछ पुलिसकर्मियों की तैनाती कर देने भर से काम नहीं चलेगा। स्थानीय लोगों और वाहन चालकों का आरोप है कि सड़क को चालू कराने की दिशा में अब तक कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ है। सभी को अब भी यही लग रहा है कि कम-से-कम एक सप्ताह तक सड़क मार्ग चालू होना संभव नहीं है।
जाटिंगा-हरांगाजाओ मार्ग उत्तर-पूर्व भारत के कई राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। ऐसे में प्रशासन और संबंधित विभागों की निष्क्रियता केवल आर्थिक क्षति ही नहीं, जनजीवन को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। ज़रूरी है कि तत्काल उच्च स्तरीय हस्तक्षेप कर सड़क मार्ग को यथाशीघ्र बहाल किया जाए।





















