शिलचर (घुंघूर), 30 जून:
घुंघूर थाना अंतर्गत आताल बस्ती ब्रिज के नीचे से एक नवजात शिशु का शव मिलने से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई है। यह हृदयविदारक घटना सोमवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सामने आई, जब स्थानीय लोगों ने ब्रिज के नीचे पड़े एक निर्जीव शिशु को देखा। सूचना मिलते ही घुंगूर पुलिस फाड़ी के प्रभारी और उनकी टीम तत्काल मौके पर पहुंची और शव को बरामद किया।
प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि नवजात को जन्म के कुछ ही समय बाद जानबूझकर मारकर यहां फेंका गया है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शिशु बालक था या बालिका। इस घटना ने समाज के भीतर छिपे क्रूर और अमानवीय मानसिकता को उजागर कर दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और चिंतकों का कहना है कि यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक चेतना और मानवीय संवेदनाओं के पतन का भयावह उदाहरण है। आज भी समाज के कुछ हिस्सों में बेटी के जन्म को बोझ समझा जाता है और उसी मानसिकता के चलते ऐसे अमानवीय कृत्य सामने आते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक है कि धर्म, जाति या वर्ग कोई भी हो—हर समुदाय में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की मर्यादा होती है, परंतु यहां एक नवजात को संभवतः जीवित अवस्था में ही फेंक दिया गया।
इलाकावासियों ने प्रशासन से इस घटना की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके और समाज को एक कठोर संदेश मिले कि इस प्रकार की क्रूरता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
फिलहाल इस घटना को लेकर क्षेत्र में आक्रोश और दुख का माहौल है। समाज के हर स्तर पर बहस छिड़ गई है—क्या इस अमानवीयता का जिम्मेदार सिर्फ वह अपराधी है, जिसने यह कृत्य किया, या फिर हम सभी, जो ऐसी घटनाओं पर चुप रहते हैं?
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हर नवजात, चाहे वह लड़का हो या लड़की, एक जीवन है, एक अधिकार है, और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है। यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और चेतना की भी गंभीर परीक्षा लेती है।
यह समय है मौन तोड़ने का, और इंसानियत के पक्ष में खड़े होने का।





















