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राजू दास, 30 जून, शिलचर: शिलचर में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना को लेकर प्रशासनिक गतिविधियाँ और औपचारिक तैयारियाँ जितनी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं, परियोजना से जुड़ी कानूनी और पर्यावरणीय प्रक्रियाओं की अपूर्णता उतने ही गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अभी तक Draft EIA (पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन) अंतिम रूप नहीं पाया है, न ही कानूनी रूप से वैध जनसुनवाई हुई है, और न ही पर्यावरणीय स्वीकृति (Environmental Clearance) प्राप्त हुई है। यहाँ तक कि केंद्र सरकार की ओर से In-Principle Approval (सैद्धांतिक स्वीकृति) भी अभी तक नहीं मिला है। इसके बावजूद उद्घाटन की तैयारियाँ चल रही हैं!
यह मानो जनमत और कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर एकतरफा विकास थोपने की कोशिश है— ऐसा ही आरोप है पर्यावरण कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध नागरिकों का।
प्रसिद्ध अधिवक्ता शिशिर दे ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से लिखा है कि इस परियोजना की Draft EIA अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस जनसुनवाई का आयोजन परियोजना क्षेत्र के बाहर किया गया, जो कि EIA अधिसूचना, 2006 के अनुसार पूरी तरह अवैध है।
जनसुनवाई में भाग लेने वाले बड़ी संख्या में लोगों ने इस परियोजना के विरुद्ध अपनी राय दी है— जो सरकारी रिकॉर्ड में भी दर्ज है। शिकायतें बिल्कुल स्पष्ट हैं: उपजाऊ चाय बागानों का विनाश, चाय मजदूरों की आजीविका पर संकट, अवैध पेड़ कटाई, जबरन बेदखली, और पर्यावरण के विनाश की आशंका।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन आपत्तियों का समाधान किए बिना अगर EIA को अंतिम रूप दिया गया तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
गौरतलब है कि इस परियोजना के लिए अब तक लगभग 42 लाख चाय के पौधे और हजारों छायादार वृक्षों की कटाई हो चुकी है, जो पर्यावरण कानून का प्रत्यक्ष उल्लंघन है— ऐसा पर्यावरणविदों का मानना है। जबकि नियम के अनुसार, Draft EIA को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही Environmental Clearance के लिए आवेदन किया जा सकता है, और वह प्रक्रिया भी अब तक शुरू नहीं हुई है।
इतना ही नहीं, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना को केवल अप्रयुक्त भूमि पर स्थापित करने की बात कही गई थी, लेकिन यहाँ लाभकारी और उत्पादक चाय बागान को नष्ट कर उस नीति का उल्लंघन किया जा रहा है।
शिशिर दे ने आगे यह भी स्पष्ट किया कि Environmental Clearance मिलने के बाद ही परियोजना प्राधिकारी In-Principle Approval के लिए आवेदन कर सकते हैं। उस स्वीकृति के बिना परियोजना को आधिकारिक मान्यता नहीं मिल सकती। लेकिन वह स्वीकृति भी अभी तक नहीं मिली है।
ऐसे हालात में उद्घाटन की तैयारियाँ, मंच निर्माण, बैनर लगना, नेताओं का आना-जाना— ये सब मिलकर जनमानस में यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि क्या यह पूरी कवायद अदालत के आदेश की अनदेखी करके एकतरफा निर्णय थोपने का प्रयास है?
यह परियोजना अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है। पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली है, EIA अंतिम रूप में नहीं है, सैद्धांतिक मंज़ूरी नहीं मिली है। स्थानीय लोगों की भारी संख्या में आपत्तियाँ दर्ज हैं। ऐसे में उद्घाटन की होड़ क्या कानून, नीति और जनमत को ठेंगा दिखाने के समान नहीं?
नाम न बताने की शर्त पर कई स्थानीय निवासी, श्रमिक संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता कहते हैं कि जब तक कानून और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक किसी भी परियोजना का उद्घाटन करना सरकार का नैतिक अधिकार नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो यह भविष्य के लिए एक खतरनाक मिसाल बन जाएगा।
ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना के कार्यान्वयन से पहले आवश्यक है कि पूरी कानूनी और पर्यावरणीय प्रक्रिया को पूर्ण किया जाए। स्थानीय लोगों की राय, आजीविका की गारंटी और पर्यावरण की सतत रक्षा— इन्हीं तीन आधारों पर सच्चे विकास की नींव रखी जा सकती है।
इस समय सबसे जरूरी है कि सारी जानकारी, रिपोर्ट और योजनाएँ जनता के समक्ष लाई जाएं, और अदालत तथा पर्यावरण कानून के फैसले के अनुसार ही परियोजना के कार्यान्वयन का रास्ता तय किया जाए। तभी संभव है एक तर्कसंगत, न्यायपूर्ण और जनोन्मुख ढांचे का निर्माण।





















