शिलचर, 1 जुलाई: बराक घाटी में यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। शिलचर-जयंतिया मुख्य सड़क की बदहाली के कारण हजारों लोग रोजाना भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि केवल बयानबाज़ी तक सीमित हैं — आम जनता उन्हें अब “निधिराम” (निष्क्रिय) की उपाधि देने लगी है।
मुख्य सड़क की खराब स्थिति के कारण ओवरलोडेड पत्थर और लाइमस्टोन से लदे भारी वाहनों का आवागमन अब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी ग्रामीण सड़कों से हो रहा है। इसका नतीजा – ये ग्रामीण सड़कें भी अब टूट-फूट कर जानलेवा बनती जा रही हैं।
बड़खला से बिहाड़ा तक की सड़क पर संकट
बड़खला विधानसभा के भांगारपार से लेकर काठीघोड़ा के बिहाड़ा तक की ग्रामीण सड़कें अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। शिलचर-कालाइन और शिलचर-जयंतिया सड़कों को जोड़ने वाली ये सड़कें हज़ारों ग्रामीणों, स्कूली बच्चों और कॉलेज के छात्रों के लिए जीवनरेखा थीं, लेकिन अब वे मरणफांद बन गई हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन ग्रामीण सड़कों का उपयोग भारी ट्रकों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें ओवरलोड पत्थर और लाइमस्टोन भरे होते हैं। यह न केवल इन सड़कों को तेजी से नष्ट कर रहा है, बल्कि छोटे वाहनों और दोपहिया चालकों के लिए जान का खतरा भी बन गया है।
प्रशासन और विभागीय अधिकारी क्यों मौन?
अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इन सड़कों से ओवरलोड ट्रकों के चलने की अनुमति कौन दे रहा है? जब सड़कें धीरे-धीरे अस्तित्वहीन होती जा रही हैं, तब क्यों नहीं पीडब्ल्यूडी (PWD) और जिला प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहे हैं?
स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इन सड़कों की मरम्मत नहीं की गई और ओवरलोड ट्रकों पर रोक नहीं लगी, तो वे व्यापक जनआंदोलन छेड़ेंगे।
बराक घाटी की ये समस्या अब एक बड़े प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन चुकी है, जिसे नजरअंदाज करना अब संभव नहीं।




















