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बेतुकांदी के कड़ारपार में हुई मारपीट की घटना पर लगाए गए आरोपों का ग्राम विचारकों ने किया खंडन

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शिलचर, 2 जुलाई: बीते सोमवार को असम के बेतुकांदी क्षेत्र के कड़ारपार इलाके में सरकारी आवासों की जिओ टैगिंग को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद और मारपीट की घटना ने इलाके में भारी तनाव पैदा कर दिया। इस घटना के बाद एक पक्ष ने दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रशासन से न्याय की मांग की।

घटना के अगले दिन मंगलवार को गांव के निवासियों दिलावर हुसैन लश्कर, मासूक अहमद लश्कर और अख्तर हुसैन लश्कर ने अन्य सदस्यों के साथ एक पत्रकार सम्मेलन आयोजित कर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को पूरी तरह से निराधार, झूठा और बेबुनियाद बताया।

उन्होंने साफ कहा कि गांव के ही बबुल हुसैन लश्कर उर्फ़ धोला और उनके भाई फजरी लश्कर इलाके में लंबे समय से आतंक फैलाए हुए हैं। वे खुद सरकारी योजनाओं की जानकारी या जिओ टैगिंग प्रक्रिया से अवगत नहीं थे।

इन ग्राम न्यायकारों ने बताया कि वर्ष 2023 में दिवंगत ज़मींदार स्व. साहेद इंजीनियर और बबुल लश्कर के परिवार के बीच ज़मीन को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद के निपटारे के लिए गांव के दिलावर हुसैन, मासूक अहमद, अख्तर हुसैन, नूर अहमद, टुकू लश्कर, नसीम लश्कर और रहीमुद्दीन लश्कर समेत कई अन्य व्यक्तियों को मध्यस्थता के लिए बुलाया गया था।

ग्राम विचारकों ने दोनों पक्षों की सहमति से फैसला दिया कि ज़मीन का आधा हिस्सा ज़मींदार को और आधा हिस्सा बबुल हुसैन को रजिस्ट्री करवा कर दिया जाए। पहले दोनों पक्षों ने इस पर सहमति जताई, लेकिन बाद में बबुल हुसैन के भाइयों में आपसी विवाद उत्पन्न हो गया और मारपीट की नौबत आ गई। इस पूरे घटनाक्रम की ज़िम्मेदारी विचारकों पर थोपते हुए बबुल लश्कर ने पहले एक मामला दर्ज कराया और अब बीते सोमवार को पुराने विवाद को दोहराते हुए एक और मामला दायर कर दिया।

जिला प्रशासन और मीडिया के समक्ष अपनी बात रखते हुए ग्राम विचारकों ने पलटवार करते हुए कहा कि बबुल हुसैन लश्कर एक ज़मीन माफिया है और वह अपने सात भाइयों के साथ मिलकर लंबे समय से गांव में आतंक और ज़मीनों पर ज़बरदस्ती कब्जा कर रहा है। उन्होंने कहा कि गरीबों और असहाय लोगों की जमीनें हथियाना और डर का माहौल बनाना इनका मुख्य उद्देश्य है।

दिलावर हुसैन ने बताया कि सोमवार को जब वे अपनी माँ और बेटी के साथ डॉक्टर के पास जा रहे थे, तब कड़ारपार के पास स्लूइस गेट के नजदीक भीड़ देखकर वाहन रोका और गांव के एक व्यक्ति से बातचीत करने लगे। उसी वक्त बबुल हुसैन और उसके भाई फजरी ने गाली-गलौज शुरू कर दी। वे किसी तरह वहां से बचकर चले गए लेकिन जब वे बाद में स्थिति स्पष्ट करने के लिए लौटे, तब दोनों भाईयों ने उन पर हमला कर दिया, जिससे हाथापाई और धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई।

इस हमले से जान बचाकर दिलावर किसी तरह घर लौटे। बाद में गांव वालों ने आपसी सुलह की कोशिश की, लेकिन उसी शाम उन्हें पता चला कि बबुल हुसैन ने फिर से उनके खिलाफ थाने में केस दर्ज करा दिया है।

पत्रकार सम्मेलन में ग्राम विचारकों ने समूचे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए प्रशासन से उचित कार्रवाई की अपील की है। इस दौरान नूर अहमद लश्कर, टुकू लश्कर, नसीम लश्कर और रहीमुद्दीन लश्कर भी मौजूद थे।

गांव में बढ़ते भूमि विवाद और साजिशपूर्ण मुकदमों के बीच विचारकों ने मीडिया के माध्यम से सच्चाई सामने लाने की कोशिश की है और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि क्षेत्र में शांति और कानून व्यवस्था बनी रहे।

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