शिलचर, 15 जुलाई:स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की नई प्रतिमा के पुनःस्थापन को लेकर शिलचर के रंगीर्खाड़ी इलाके में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। आगामी 24 अगस्त को यह ऐतिहासिक आयोजन मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा के कर-कमलों द्वारा उद्घाटित किया जाएगा। इसे लेकर मंगलवार शाम को शिलचर के सर्किट हाउस रोड स्थित एक विवाह भवन में एक महत्वपूर्ण तैयारी बैठक आयोजित की गई।
इस आयोजन का नेतृत्व कर रही है “नेताजी मूर्ति नव-निर्माण एवं स्थापना समिति, शिलचर“, जो नेताजी के आदर्शों के प्रति गहरी श्रद्धा से प्रेरित होकर यह पहल कर रही है। कार्यक्रम दो दिवसीय होगा और भारी जनसमागम की संभावना जताई जा रही है।
बैठक में समिति के संयोजक व शिलचर विधायक दीपायन चक्रवर्ती, सह-संयोजक उत्तम कुमार साहा, मंत्री कौशिक रॉय, असम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजीव मोहन पंत, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी साधनानंद जी, रामकृष्ण मिशन के स्वामी गणधिषानंद जी, प्रख्यात साहित्यकार अतीन दास, शिलचर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भास्कर गुप्ता, सांसद परिमल शुक्लवैद्य, उदय शंकर गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार तैमूर राजा चौधुरी, कवयित्री महुआ चौधुरी, कवि बिमलेन्दु राय, प्रो. अमलेंदु भट्टाचार्य, एनसीसी ग्रुप कमांडर सत्तावन सिंह व धन बहादुर, तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
स्वामी गणधिषानंद जी ने नेताजी के विचारों को प्रेरणास्रोत बताते हुए समिति की सराहना की। वहीं स्वामी साधनानंद जी ने रंगीर्खाड़ी मोड़ का नाम बदलकर ‘नेताजी चौक’ करने का आग्रह किया और स्थल की स्वच्छता पर बल दिया।
सांसद परिमल शुक्लवैद्य ने इस पहल को एक ऐतिहासिक कदम बताया और शिलचर की जनचेतना की सराहना करते हुए कार्यक्रम में भारी भागीदारी का आह्वान किया।
मंत्री कौशिक रॉय ने कहा कि नेताजी की प्रतिमा का पुनःस्थापन उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का श्रेष्ठ माध्यम है और यह शिलचर के लिए एक अविस्मरणीय दिन होगा।
कोषाध्यक्ष रुद्र नारायण सिंह ने बताया कि वर्ष 2023 में गठित समिति ने बैंक चैनल के माध्यम से पारदर्शिता के साथ आर्थिक सहयोग जुटाया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि बराक घाटी के छात्रों के लिए नेताजी के जीवन पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा।
दीपायन चक्रवर्ती ने नेताजी से संबंधित गुप्त फाइलों के सार्वजनिक होने की प्रक्रिया की चर्चा करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से अब तक 300 से अधिक फाइलें राष्ट्रीय अभिलेखागार में सार्वजनिक की जा चुकी हैं। उन्होंने जनता से कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की।
कवि व पत्रकार अतीन दास ने सभा में भारी उपस्थिति को उत्साहवर्धक बताते हुए कहा कि देश के लिए कुछ करना हम सभी का कर्तव्य है।
कुलपति डॉ. राजीव मोहन पंत ने नेताजी की छात्रजीवन की विद्वता और आत्मसम्मान पर प्रकाश डाला।
सभा का संचालन वरिष्ठ पत्रकार उत्तम कुमार साहा ने किया।
अब शिलचर पूरे जोश और उत्साह के साथ 24 अगस्त के एक ऐतिहासिक दिन की ओर अग्रसर है, जब रंगीर्खाड़ी की धरती पर नेताजी को फिर से सम्मानित किया जाएगा।





















