प्रेरणा भारती शिलचर , 22 जुलाई : शिलचर के प्रतिष्ठित 43 वर्षीय शिक्षण संस्थान साउथ पॉइंट हाई स्कूल एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। पारिवारिक संपत्ति विवाद के चलते स्कूल के संचालन में व्यवधान उत्पन्न हो गया है, जिससे विद्यालय के 250 से अधिक छात्रों का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। इस घटनाक्रम से अभिभावकों, शिक्षकों और छात्र समुदाय में गहरी चिंता और आक्रोश व्याप्त है।
विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय इंदुभूषण दे के दो पुत्र—सुप्रतिक दे और नीलोत्पल दे—के बीच पहले पारिवारिक विवाद था, जो बाद में सुलझ गया था। दोनों भाई मिलकर स्कूल का संचालन कर रहे थे। लेकिन 14 जुलाई को एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में लगभग 100 मजदूरों और 50 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ एक समूह ने स्कूल परिसर में प्रवेश किया और बिना किसी पूर्व सूचना के वर्तमान प्रबंधन समिति को बाहर निकाल दिया गया, ऐसा आरोप सामने आया है।
न दस्तावेज़, न प्रवेश—स्कूल बंद!
स्कूल की संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा कर लिया गया, महत्वपूर्ण शैक्षणिक दस्तावेजों को सील कर दिया गया, और प्रधानाचार्या सहित समस्त स्टाफ का स्कूल में प्रवेश बंद कर दिया गया। बताया गया कि विद्यालय की जमीन से जुड़ी पारिवारिक समझौता प्रक्रिया में वर्तमान प्रबंधन समिति को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया था।
विद्यालय के पूर्व प्रबंधक नीलोत्पल दे और उनकी पत्नी, वर्तमान कार्यवाहक प्रधानाचार्या कृष्णा दे ने मीडिया को बताया कि, “यह विद्यालय किसी ट्रस्ट या एमडी द्वारा नहीं, बल्कि शिक्षकों की निष्ठा और छात्रों की मेहनत से खड़ा हुआ है।” उन्होंने बताया कि 2019 में दाखिले की संख्या कम जरूर हुई थी, लेकिन 2020 में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से फिर से संस्थान को सक्रिय किया गया।
शिक्षा से बड़ा कोई नहीं!
प्राप्त जानकारी के अनुसार, स्कूल के संचालन से संबंधित किसी भी प्रक्रिया में वर्तमान प्रबंधन को सूचना नहीं दी गई थी। कृष्णा दे ने कहा, “हमें एक बार भी पहले से नहीं बताया गया, न ही किसी मीटिंग में बुलाया गया। अचानक आकर स्कूल को ताले में बंद कर दिया गया। यह केवल संपत्ति विवाद नहीं है, यह हमारे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।”
इस स्थिति से चिंतित अभिभावकों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया और एक ज्ञापन जिला शासक को सौंपा है। उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।
प्रशासन ने दी कानूनी समाधान की सलाह
जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए फिलहाल इसे विधिक प्रक्रिया के तहत सुलझाने की बात कही है। दोनों पक्षों ने अपने-अपने कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त कर लिए हैं और मामला अब अदालत में विचाराधीन है।
शिक्षा की राह में न बने दीवार
इस पूरे विवाद ने निजी स्वामित्व वाले शैक्षणिक संस्थानों में पारिवारिक संपत्ति विवादों की स्थिति को लेकर गहरी चिंता और बहस को जन्म दिया है। अभिभावकों की मांग है कि विद्यालय को तत्काल खोला जाए, छात्रों के शैक्षणिक अभिलेख सुरक्षित रखे जाएं और कक्षाएं यथाशीघ्र शुरू की जाएं।
कृष्णा दे ने भावुक होकर कहा, “हम बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होने देंगे। हमें सिर्फ पढ़ाना है, राजनीति या संपत्ति से कोई मतलब नहीं। प्रशासन अगर चाहे तो यह संकट तुरंत सुलझ सकता है।”
मीडिया कवरेज की कमी पर चिंता
विद्यालय प्रशासन और अभिभावकों ने यह भी कहा कि इस गंभीर मुद्दे को अभी तक न राज्य और न ही राष्ट्रीय मीडिया ने तवज्जो दी है। इसलिए उन्होंने मीडिया से अपील की है कि छात्रों के भविष्य से जुड़े इस संवेदनशील विषय को सामने लाया जाए।
यह मामला सिर्फ एक स्कूल या एक परिवार का नहीं है—यह सवाल है शिक्षा की प्राथमिकता का। जब तक इस विवाद का समाधान नहीं होता, तब तक 250 से अधिक छात्रों का भविष्य दांव पर लगा रहेगा। प्रशासन, न्यायपालिका और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न हो—चाहे वह संपत्ति हो या सत्ता का संघर्ष।





















