धोलाई, 22 जुलाई: पालंगघाट ICDS परियोजना के अंतर्गत आने वाले 80 नंबर निमाइपुर अंगनवाड़ी केंद्र के निर्माण को लेकर निमाइपुर गांव में जबरदस्त विवाद पैदा हो गया है। केंद्र की स्थापना को लेकर दो पक्षों में तीखा मतभेद सामने आया है। एक पक्ष केंद्र को निमाइपुर फॉरेस्ट विलेज में स्थापित करने की मांग कर रहा है, जबकि दूसरा पक्ष मोहान खाल एमई और एलपी स्कूल के पास केंद्र निर्माण को अधिक उपयुक्त मान रहा है।
वर्तमान में यह केंद्र लंबे समय से मोहन खाल एमई स्कूल की एक कक्षा में संचालित हो रहा था। हाल ही में सरकार द्वारा भवन निर्माण के लिए बजट आवंटित होते ही दोनों पक्ष अपने-अपने स्थान पर केंद्र निर्माण की मांग को लेकर आमने-सामने आ गए हैं, जिससे निर्माण कार्य अटक गया है।
स्थानीय लोगों का मतभेद, सुरक्षा और पहुंच को लेकर चिंता
पूर्व ग्राम पंचायत अध्यक्ष समेत अधिकांश ग्रामीणों का मानना है कि स्कूल के पास केंद्र का निर्माण अधिक उपयुक्त होगा। उनके अनुसार, निमाइपुर फॉरेस्ट विलेज भुवन पहाड़ियों के नीचे स्थित है जहाँ सड़कें बेहद जर्जर हैं और रास्ते में मत्स्य पालन की गतिविधियों के कारण बच्चों की आवाजाही असुरक्षित हो सकती है। वहीं स्कूल परिसर के पास केंद्र स्थापित होने से बच्चों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल शैक्षणिक माहौल उपलब्ध होगा।
अंगनवाड़ी कार्यकर्ता पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
विवाद के बीच अंगनवाड़ी कार्यकर्ता जमीला बेगम पर बच्चों के पोषण आहार में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए हैं। एक स्थानीय समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के अनुसार, उनके द्वारा सामग्री वितरण में गड़बड़ी की गई है। हालांकि, जमीला बेगम ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि बच्चों को सभी आवश्यक सामग्री समय पर और सही ढंग से दी गई है।
निमाइपुर में केंद्र की उपयोगिता पर सवाल
स्थानीय समाजसेवी जमाल उद्दीन ने निमाइपुर में केंद्र स्थापित करने की व्यवहारिकता पर सवाल उठाया है। उनके अनुसार, “निमाइपुर कोई राजस्व ग्राम नहीं है और 2011 की जनगणना के अनुसार वहाँ केवल 10 परिवार ही निवास करते हैं। ऐसे में वहाँ केंद्र बनाना कितना तर्कसंगत है, इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।”
स्थानीय लोगों की माँग— जल्द समाधान हो
वहीं एक अन्य स्थानीय निवासी रहीम उद्दीन ने कहा, “यह केंद्र वर्षों पहले बन जाना चाहिए था। लेकिन लगातार देरी से काम नहीं हो सका। यदि स्कूल परिसर में केंद्र बनता है, तो बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावक भी लाभान्वित होंगे।”
प्रशासन से हस्तक्षेप की अपेक्षा
यह विवाद अब पूरे गाँव में गहराता जा रहा है और ग्रामीणों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लोगों की माँग है कि प्रशासन जल्द हस्तक्षेप कर निष्पक्ष रूप से स्थान चयन करे और सुनिश्चित करे कि केंद्र की सेवाएँ सभी बच्चों तक सुचारु रूप से पहुँच सकें।





















