फॉलो करें

शिलचर मेडिकल कॉलेज के वीआईपी केबिन में 24 घंटे से अधिक समय तक पानी की आपूर्ति ठप!

532 Views

शिलचर, 24 जुलाई: शिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SMCH) एक बार फिर से सवालों के घेरे में है। इस बार आरोप है कि अस्पताल के वीआईपी केबिन में भर्ती एक वरिष्ठ नागरिक और काछार जिले के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता कबिंद्र पुरकायस्थ के कक्ष में लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक जल आपूर्ति पूरी तरह बंद थी।

जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर सामने आई, जनमानस में भारी आक्रोश फैल गया। अनेक लोग अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देने लगे। लोगों का कहना है—“यदि एक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता को यह हाल झेलना पड़ता है, तो आम मरीजों की हालत क्या होगी?”

प्राचार्य ने आरोपों को किया खारिज

इस मामले में जब शिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य डॉ. भास्कर गुप्ता से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा,

“यह पूरी तरह से झूठ और उद्देश्यप्रणोदित प्रचार है। अस्पताल में सेवाएं पूरी तरह सामान्य हैं। कुछ लोग अस्पताल की छवि को धूमिल करने के इरादे से इस तरह की भ्रामक खबरें फैला रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि यदि मीडिया या कोई आम नागरिक चाहे, तो अस्पताल आकर स्वयं स्थिति का निरीक्षण कर सकता है। डॉ. गुप्ता के अनुसार, सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ नकारात्मक शक्तियां जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही हैं।

फिर भी उठ रहे हैं सवाल

हालांकि प्राचार्य की सफाई के बावजूद आम जनता के बीच संदेह बना हुआ है, क्योंकि शिलचर मेडिकल कॉलेज पूर्व में भी कई बार आलोचनाओं के केंद्र में रहा है। दालालचक्र, गंदे शौचालय, खराब उपकरण, डॉक्टर और नर्सों की कमी जैसे मुद्दों पर यह संस्थान पहले भी सुर्खियों में रहा है।

महज एक दिन पहले ही अस्पताल के कई शौचालयों की दयनीय स्थिति की तस्वीरें मीडिया में सामने आई थीं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने सफाई अभियान चलाया, लेकिन लोगों का विश्वास फिर भी डगमगाया नहीं है।

सवाल अनुत्तरित

लोगों का सवाल है—अगर कबिंद्र पुरकायस्थ जैसे प्रभावशाली व्यक्ति को अस्पताल की बदइंतजामी झेलनी पड़ती है, तो एक सामान्य मरीज़ की क्या स्थिति होगी?
यदि अस्पताल प्रशासन दावा करता है कि सेवाओं में सुधार हुआ है, तो बार-बार ऐसी शिकायतें क्यों सामने आती हैं?
क्यों हर बार मरीजों और उनके परिजनों को अपनी पीड़ा सोशल मीडिया पर साझा करनी पड़ती है?
और सबसे अहम सवाल—क्यों ये सवाल कभी ठोस उत्तर नहीं पाते?

एक तरफ अस्पताल प्रशासन खुद को निर्दोष बता रहा है, तो दूसरी ओर जनता का अनुभव और सवाल एक अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि प्रशासन पारदर्शिता बरते और किसी भी संदेह को दूर करने के लिए तथ्यों के साथ सामने आए। अन्यथा, विश्वास की ये खाई दिन-ब-दिन और गहरी होती जाएगी।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल