शिलचर, 26 जुलाई: असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं जोरहाट से सांसद गौरव गोगोई के बराक दौरे को लेकर क्षेत्र में जबरदस्त उत्साह और हलचल देखने को मिला, खासकर तब जब भाजपा नेता रूपम नंदी ने कुछ दिन पहले विवादास्पद बयान देते हुए चेतावनी दी थी—”गौरव गोगोई को बराक की धरती पर पैर नहीं रखने देंगे।”
रूपम नंदी की इस धमकी के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उमड़ीं। कई लोगों ने उन्हें ललकारते हुए लिखा, “अगर हिम्मत है तो हमारे नेता का बराक दौरा रोक कर दिखाओ।” इस जन प्रतिक्रिया ने नंदी की राजनीतिक छवि को कहीं न कहीं धक्का पहुँचाया।
इसके बावजूद, शनिवार सुबह जैसे ही गौरव गोगोई शिलचर हवाई अड्डे पर उतरे, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों, फूलमालाओं, उलुध्वनि और तालियों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। वहां से एक भव्य रोड शो के माध्यम से उन्हें शिलचर के रामनगर ISBT मैदान लाया गया, जहां एक विशाल जनसभा आयोजित की गई थी।
सभा को संबोधित करते हुए गौरव गोगोई ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“पिछले 10 वर्षों में असम की जनता को सिर्फ भय, उच्छेदन और विभाजन की राजनीति मिली है। मुख्यमंत्री का घर और बैंक बैलेंस जरूर बढ़ा है, लेकिन आम लोगों की हालत बद से बदतर हुई है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने गरीबों की ज़मीनें छीनकर अपने परिवार और नज़दीकियों के नाम पर ‘पट्टा’ जारी किए हैं।
उन्होंने सवाल उठाया—
“विदेशी हटाओ के नाम पर जिस तरह आम लोगों को उजाड़ा जा रहा है, सरकार बताए कि इनमें से कौन असली बांग्लादेशी है और कौन भारतीय?”
उन्होंने असम समझौते का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकता से वंचित व्यक्तियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत ही वापस भेजा जाए, लेकिन किसी भी भारतीय नागरिक को पुनर्वास के बिना उखाड़ा नहीं जा सकता।
सभा में उन्होंने आगामी 2026 विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं से आह्वान किया—
“यह लड़ाई सिर्फ हिमंत सरकार के खिलाफ नहीं, यह असम के लोकतंत्र और शांति को बचाने की लड़ाई है। डर का माहौल हटाकर जनता को संगठित करना होगा।”
सभा के बाद गौरव गोगोई हाइलाकांदी रवाना हुए, जहां उन्होंने कांग्रेस के “मेरा बूथ, मेरी मांग” कार्यक्रम में भाग लिया। इस अभियान का उद्देश्य संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करना और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद स्थापित करना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा केवल गौरव गोगोई की व्यक्तिगत राजनीतिक स्थिति को ही नहीं, बल्कि बराक घाटी में कांग्रेस के जनाधार को पुनर्जीवित करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। भाजपा नेता रूपम नंदी की चेतावनियों और चुनौतियों के बावजूद जिस तरह का समर्थन गौरव गोगोई को मिला, उसने स्पष्ट कर दिया कि जनता का भरोसा किस ओर झुक रहा है — कम से कम इस दौरे के संदर्भ में तो ज़रूर।





















