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शिलचर के शिलांगपट्टी स्थित विमेन्स कॉलेज के सभागार में पंडित देवशरण स्मृति मंच एवं असम हिंदीभाषी ब्राम्हण महासभा के संयुक्त तत्वावधान में एक प्रेरणादायी सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें समाज के मेधावी विद्यार्थियों, नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और विशिष्ट कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। यह आयोजन न केवल सम्मान का अवसर था, बल्कि हिंदीभाषी ब्राम्हण समाज की एकता, शिक्षा, संस्कृति और सेवा के प्रति प्रतिबद्धता का सशक्त प्रतीक भी बना। कार्यक्रम की शुरुआत सुप्रिया चौबे के कुशल संचालन, दिव्यांशी पांडेय द्वारा गणेश वंदना पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुति से हुई। यह प्रस्तुति इतनी सुंदर और भावपूर्ण थी कि उपस्थित सभी जन मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद अंजनी दीक्षित द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत ने वातावरण को भावनात्मक और सांस्कृतिक ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर अजीता तिवारी ने अपने गूढ़ एवं प्रेरक भाषण में कहा,यदि हम अपने पूर्वजों के योगदान को देखें, तो यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने समाज निर्माण में अपना सर्वस्व अर्पण किया। हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानते हुए न केवल स्वयं आगे बढ़ना है, बल्कि दूसरों को भी साथ लेकर चलना है।
उन्होंने लड़के-लड़कियों को समान अवसर देने की बात करते हुए कहा कि आधुनिक समाज में संतुलन तभी आएगा जब हर वर्ग शिक्षा, संस्कार और सहयोग की भावना से ओत-प्रोत हो।
महासचिव मनीष उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा,
हमारा उद्देश्य केवल एक संगठन बनाना नहीं है, बल्कि ऐसी सोच और संस्कृति का निर्माण करना है जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े। मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित कर हम यह संदेश देना चाहते हैं कि परिश्रम का फल न केवल मिलता है, बल्कि समाज भी उसका सम्मान करता है।
कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुजीत तिवारी ने अपने विचार रखते हुए कहा,आज का दिन हमारे समाज के उज्जवल भविष्य का प्रतीक है। जब हम अपने समाज के प्रतिभावान बच्चों और जनप्रतिनिधियों को मंच पर सम्मानित करते हैं, तो हम केवल व्यक्तियों का नहीं, बल्कि पूरे समाज की आकांक्षाओं और संभावनाओं को सम्मान दे रहे होते हैं। असम में हिंदीभाषी ब्राम्हण समाज की स्थिति को और सुदृढ़ करने के लिए हमें संगठित प्रयास करने होंगे। शिक्षा, संस्कृति और सेवा ही हमारी असली पहचान है। इस दिशा में हमारा संगठन लगातार काम कर रहा है। इस कार्यक्रम में कक्षा 10वीं एवं 12वीं में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रतीक चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। साथ ही, हाल ही में पंचायत चुनावों में जीत हासिल करने वाले हिंदीभाषी ब्राम्हण जनप्रतिनिधियों को भी सम्मानित कर उनकी उपलब्धि की सराहना की गई। यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत थी, बल्कि पूरे समाज के आत्मविश्वास की जीत के रूप में देखा गया।
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष नर्वदेश्वर दुबे, उपाध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय, वरिष्ठ समाजसेवी राजकुमार दुबे, संयोजक युगल किशोर त्रिपाठी, पत्रकार योगेश दुबे, समाजसेवी आनंद दुबे, कार्यकर्ता केशव दीक्षित, और अन्य गणमान्यजन मंच की शोभा बढ़ा रहे थे।श्वेता तिवारी द्वारा प्रस्तुत रुद्राष्टकम का हिंदी भावानुवाद इतना भावपूर्ण था कि पूरा सभागार शिवमय हो उठा। श्रोताओं ने भावविभोर होकर प्रस्तुति का आनंद लिया और इसे आयोजन का सबसे आध्यात्मिक क्षण माना।
यह आयोजन न केवल सम्मान का एक अवसर था, बल्कि हिंदीभाषी ब्राम्हण समाज की एक नई पहचान गढ़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल भी साबित हुआ। यह संदेश स्पष्ट रूप से गया कि समाज जब एकजुट होकर अपने प्रतिभाओं और नेतृत्व को सम्मान देता है, तो वह स्वयं को सशक्त करता है। पंडित देवशरण स्मृति मंच एवं असम हिंदीभाषी ब्राम्हण महासभा का यह कार्यक्रम आने वाले समय के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया है।





















