शिलचर, 30 जुलाई 2025:अखिल असम विद्युत उपभोक्ता संघ की काछाड़ जिला समन्वय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आज शिलचर के डिमासा सांस्कृतिक भवन में आयोजित की गई। बैठक में उपस्थित सदस्यों ने असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एपीडीसीएल) द्वारा जारी भीषण गर्मी में घंटों-घंटों तक की जा रही बिजली कटौती को “अत्यंत असंवेदनशील और अनुचित” बताया। उन्होंने कहा कि इससे आम जनता, छात्र, व्यापारी, वृद्ध और बीमारजन बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
बैठक में यह भी याद दिलाया गया कि असम सरकार ने राज्य में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति का वादा किया था, लेकिन वर्तमान में पूर्व के सभी लोडशेडिंग रिकॉर्ड टूट चुके हैं। आम सहमति से यह निर्णय लिया गया कि यदि एपीडीसीएल जल्द ही स्थिति में सुधार नहीं लाता, तो जिला स्तर पर व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
समिति के वरिष्ठ सलाहकार निर्मल कुमार दास ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया “बिजली संशोधन विधेयक 2023” उपभोक्ता विरोधी है और इसके पीछे वितरण प्रणाली के निजीकरण की मंशा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारें स्मार्ट मीटर थोपकर अप्रत्यक्ष रूप से बिजली वितरण को निजी हाथों में सौंपने की साजिश कर रही हैं।
स्मार्ट मीटर पर गंभीर आरोप
निर्मल दास ने कहा कि स्मार्ट मीटर न सिर्फ उपभोक्ता के उपयोग की गई बिजली का आंकलन करता है, बल्कि तकनीकी क्षति के कारण लाइन में जो बिजली बर्बाद होती है, उसका भार भी उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यूरोप सहित कई देशों में इन मीनों के खिलाफ शिकायतों के बाद उन्हें हटाया जा चुका है, परंतु भारत में इन्हें जनता पर थोपने का प्रयास किया जा रहा है।
चंपालाल दास, मानस दास, रंजीत चौधरी और मृणाल कांति सोम जैसे प्रमुख सदस्यों ने कहा कि हाल ही में एपीडीसीएल द्वारा 2 किलोवाट तक के कनेक्शन के लिए डिजिटल मीटर की अनुमति देने की घोषणा ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर हटाने की मांग को और तेज कर दिया है।
धोआरबंद क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष मोहनलाल माला, सचिव रामकुमार बागती और पंचायत प्रतिनिधि स्वप्न बाउरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर दहशत का कारण बन चुके हैं। जहां भी इन मीटरों को लगाया गया है, वहां उपभोक्ताओं का बिजली बिल काफी बढ़ गया है।
राज्य सरकार पर भेदभावपूर्ण रवैये का आरोप
सदस्यों ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में स्मार्ट मीटर को रद्द कर दिया गया है, लेकिन असम सरकार इन्हें जनता पर थोपने में जुटी है। उन्होंने सरकार पर कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देने और आम जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया।
श्रमिक नेता असीम नाथ ने कहा कि स्मार्ट मीटर मेहनतकश जनता की गाढ़ी कमाई लूटने का जरिया बन चुके हैं। उन्होंने इनके खिलाफ निर्णायक जन आंदोलन का आह्वान किया।
मुख्य निर्णय और जनता से अपील
बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि:
- स्मार्ट मीटर को किसी भी घर में जबरन न लगाया जाए।
- जिन घरों में ये मीटर लगाए जा चुके हैं, वहां इन्हें हटाकर पुराने डिजिटल मीटर बहाल किए जाएं।
- यदि कोई निजी कंपनी जबरन स्मार्ट मीटर लगाने का प्रयास करे, तो उसका सामूहिक विरोध किया जाए।
संघ की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि बिजली अधिनियम, 2003 के अनुसार किसी उपभोक्ता के घर में बिना सहमति के मीटर बदलना अवैध है।
बैठक के अंत में जिला की जनता से आह्वान किया गया कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी तरह की बिजली संबंधी अन्यायपूर्ण गतिविधि का पुरजोर विरोध करें।





















