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अरुणाचल प्रदेश का गौरव : श्रीमती नावांग चोंजोम को मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की उपाधि से किया सम्मानित

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गुवाहाटी, 30 जुलाई 2025 — अरुणाचल प्रदेश गर्व के साथ श्रीमती नावांग चोंजोम (ग्यांगखर गाँव, तवांग) की उपलब्धि का जश्न मना रहा है, जिन्हें मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रतिष्ठित ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की उपाधि प्रदान की गई है। यह सम्मान 30 जुलाई 2025 को गुवाहाटी में आयोजित विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में प्रदान किया गया, उनके महिला सशक्तिकरण, एग्रीप्रेन्योरशिप, वैल्यू एडिशन, स्वदेशी संस्कृति, आस्था और परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन, बढ़ईगिरी, नवाचार और कौशल विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया।
श्रीमती चोंजोम ने 2007 से 2023 तक तवांग के दूरस्थ गांवों में प्राथमिक विद्यालय शिक्षिका के रूप में सेवा दी और साथ ही जमीनी स्तर पर ग्रामीण समुदायों के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल की, महिलाओं को स्व-सहायता समूहों (SHGs) में संगठित किया, किसान उत्पादक कंपनियों (FPCs) के गठन में सहयोग दिया, पूरे भारत में विपणन नेटवर्क बनाए और किसानों व महिला उद्यमियों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। उनके प्रयासों से 500 से अधिक किसानों को सशक्त बनाया गया, ऑफ-सीजन विदेशी सब्जियों की खेती को आश्वस्त खरीद व्यवस्था के साथ शुरू किया गया, पारंपरिक बुनाई और कताई के कार्य को संरक्षित किया गया, तथा स्वदेशी कृषि और खाद्य उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुँचाया गया।
दीक्षांत समारोह में पूर्वोत्तर क्षेत्र के 11 विशिष्ट व्यक्तित्वों को भी ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रो. पिनाकेश्वर महंता, निदेशक, एनआईटी मेघालय; डॉ. हरि कुमार, कुलपति, मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी; प्रो. प्रह्लाद जोशी, कुलपति, कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय, असम; और श्री दिलीप गोस्वामी, अध्यक्ष, योग गुरुकुल, असम, जैसे विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के दौरान 60 छात्रों को योग शिक्षा में डिप्लोमा प्रदान किए गए। सभा को संबोधित करते हुए प्रो. पिनाकेश्वर महंता ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डाला और सभी सम्मानित व्यक्तियों एवं स्नातकों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी।
श्रीमती नावांग चोंजोम को ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के रूप में मिला यह सम्मान उनके समुदाय सेवा के प्रति अटूट समर्पण, ग्रामीण विकास में नेतृत्व और अरुणाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

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