गुवाहाटी, 9 अगस्त: तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने आरोप लगाया है कि SIR (State Investigation on Records) के नाम पर राज्य में “पीछे के दरवाजे से” NRC लागू करने की तैयारी हो रही है। उन्होंने बीजेपी को बंगाल विरोधी पार्टी बताते हुए विशेषकर असम के हिंदू बंगालियों से अपील की कि वे भाजपा को वोट न दें।
सुष्मिता देव ने कहा कि 17 जुलाई को असम के मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि एफटी (Foreigners Tribunal) में लंबित हिंदू बंगालियों के मामले वापस लिए जाएंगे, लेकिन कुछ ही दिनों में बयान बदलते हुए उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि केवल राजवंशी और गोरखा समुदाय के मामलों को ही वापस लिया जाएगा, जबकि हिंदू बंगालियों और बंगाली मुसलमानों को CAA के तहत आवेदन करना अनिवार्य होगा।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार के अनुसार, CAA में आवेदन के बाद ही एफटी के मामले समाप्त होंगे, अन्यथा नहीं। इस पर उन्होंने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा को झूठा बयान देने और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को सच्चाई बताने का श्रेय दिया।
सुष्मिता देव ने भारतीय चुनाव आयोग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नागरिकता की जांच केवल भारत सरकार का गृह मंत्रालय NRC के माध्यम से कर सकता है, लेकिन चुनाव आयोग SIR के नाम पर यह कार्य कर रहा है, जो असंवैधानिक है।
उन्होंने बताया कि आयोग नागरिकता साबित करने के लिए वोटर आईडी, आधार कार्ड और राशन कार्ड को मान्य नहीं मान रहा है। बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान जिनका जन्म 1987 के बाद हुआ, उनसे माता-पिता का जन्म प्रमाणपत्र मांगा गया—जो अधिकांश लोगों के पास उपलब्ध नहीं है।
सुष्मिता देव ने कहा कि भाजपा के शासन में बंगालियों के पास न तो जमीन का अधिकार है, न नागरिकता की सुरक्षा, और यह सब केवल उनकी भाषा के कारण हो रहा है। उन्होंने असम के हिंदू बंगालियों और बंगाली मुसलमानों से सजग रहने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।





















