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” देश की आज़ादी ” – कुछ जानी -अनजानी बातें  –

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                                                                                                                                                                      -ओंकार पारीक वरिष्ठ पत्रकार
 आखिर 15 अगस्त ही क्यों….??
4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ़ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल प्रस्तुत किया गया, जिसमें भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान बनाये जाने का प्रस्ताव भी था, जिसे 18 जुलाई, 1947 को स्वीकार कर लिया गया।
लार्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी के लिये 15 अगस्त, 1947 के दिन को निर्धारित किया था. 15 अगस्त की घोषणा के पीछे मूल कारण यह था कि –
लार्ड इस दिन को इसलिए शुभ ओर सौभाग्यशाली मानते है,. क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान के सेना ने मित्र देशो कि सेना के सामने आत्म समर्पण किया था, वो दिन 15 अगस्त, 1945 का दिन ही था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय लार्ड माउंटबेटन अलायइड सेना के कमांडर थे ओर वे इस दिन को शुभ मानते थे. उल्लेखनीय है कि फ़रवरी,1947 को लार्ड माउंटबेटन को भारत का आख़री वॉइसराय चुना गया था, और उन्हें ये अधिकार दिया गया कि वे व्यवस्थित तरीके से भारत को आज़ादी दिलाने में सहयोग प्रदान करें.
आधी रात को ही आज़ादी क्यों….??
देश की आम जनता भी इस सवाल को जानने की बड़ी उत्सुक है कि आखिर क्या कारण है कि हमें आज़ादी उस वक्त मिली, ज़ब सारा देश नींद के
आगोश में डूबा हुआ था और हमारे प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 को ही आखिर क्यों चुना ?
उज्जैन महाकाल के निवासी एवं प्रख्यात ज्योतिषचार्य एवं लेखक सूर्य शंकरजी व्यास के साथ डॉक्टर
राजेंद्र प्रसाद जी के साथ आगाध मित्रता थी, जिसके चलते उन्होने अपने विश्वस्त मित्र गोस्वामी गणेशदत्त महाराज के जरिये उज्जैन के प्रशिद्ध ज्योतिषचार्य एवं लेखक सूर्य शंकर व्यास को दिल्ली बुलावाया ओर उनसे देश की आज़ादी के उत्सव किस शुभ
मुहूर्त में किया जाये? व्यासजी को14 ओर 15 अगस्त दिन दिए गये थे, उन्होने अच्छी तरह से
गणना ही नहीं की, बल्कि भारत की कुंडली भी बना दी.
व्यास जी कुंडली बनाते वक़्त मोहम्मद अली ज़िन्ना से कहा था कि यदि आप 14 अगस्त को पाकिस्तान की आज़ादी लेंगे, ये शुभ नहीं रहेगा और पाकिस्तान हमेशा संकट में रहेगा और उथल पुथल बनी रहेगी, जिसके कारण देश विकास की गति पर अग्रसित नहीं हो पायेगा। लेकिन जिन्ना रह गये पढ़े लिखें और अपने आपको किसी अंग्रेज से कम नहीं समझते थे,
इसलिए उन्होंने व्यासजी के सुझाव को मानने से इंकार कर दिया। फलस्वरूप आज आप और हम देख रहे है की पाकिस्तान किस तरह पतन कगार पर खड़ा है….
 ज़ब लार्ड माउंट बेटन ने भारत को आज़ादी मिलने की घोषणा 3 जून 1948 से बदल कर 15 अगस्त, 1947 कर दी, तो देश के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों के बीच खलबली मच गई थी, इनके अनुसार 15 अगस्त का दिन और तारीख दोनों ही अपवित्र है, लेकिन क्या करें लॉर्ड अपनी घोषणा पर अडिग थे.
अंततः ज्योतिषीयों ने उपाय निकाला और उन्होने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय निर्धारित किया गया, क्योंकि अंग्रेजी हिसाब से रात
बारह बजे से दिन शुरू हो जाता है और भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्योदय पर दिन, वार और तिथि परिवर्तित होती है. मुहर्त में एक बात और थी, जिसके लिये नेहरूजी से कहा गया था की उनके भाषण का मुहर्त रात 11.51 से 12.39 बजे तक ही है, इसलिए वे अपना भाषण रात के 12 तक ही खत्म कर देवें, ताकि बाद में शंखनाद की ध्वनि से देश के स्वतंत्र होने की घोषणा की जा सके और यही हुआ.
व्यासजी के निर्देशानुसार गोस्वामी गिरधारी लाल ने आज़ादी के बाद संसद परिसर क़ी धुलाई और सफाई क़ी, क्योंकि अब तक ब्रिटिश शासक ही इसमें बैठते थे अब भारतीय बैठेंगे. धुलाई और सफाई होने के बाद गोस्वामी जी ने व्यासजी के निर्देशानुसार संसद क़ी शुद्धि भी करवाई थी.
ये हमारे देश के आधी रात की आज़ादी की कहानी के पीछे की पृष्ठभूमि.
प्रसंगवश ये भी बताते चले की विश्व में तीन देश – कोरिया, कांगो और बहरीन भी 15 अगस्त को ही अपना स्वाधीनता दिवस मनाते है.
आप और हम देखते है कि 15 अगस्त को देश के प्रधान मंत्री लाल किले क़ी प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराते है, लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा सचिवालय के एक  शोध पत्र के अनुसार नेहरूजो ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले क़ी प्राचीर से तिरंगा फहराया था.
सारा देश स्वाधीनता दिवस मना रहा था, लेकिन महात्मा गाँधी कलकत्ता में नोआखाली में हिन्दू और मुस्लिम के बीच हुए साम्प्रदायिक दंगो को रोकने के
लिये आमरण अनशन पर बैठे हुए थे.
: प्रस्तुति :
ओंकार पारीक वरिष्ठ पत्रकार 
गोपीनाथ मंदिर मार्ग 
सांड चौक सुजानगढ़ -331507
चल भाष :: 98649 18948

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