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राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस विशेष : भारत की अंतरिक्ष सफलता गाथा
23 अगस्त को, जिस दिन भारत ने चाँद पर अपना तिरंगा फहराया था, अब उसे हम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। इस पावन अवसर पर, ग्रहों की खोज के इतिहास में भारत द्वारा रची गई अंतरिक्ष और वैज्ञानिक उपलब्धियों की अद्भुत कहानी पर नज़र डालते हैं। 60 के दशक की साधारण शुरुआत से लेकर आर्यभट उपग्रह, मंगलयान, चंद्रयान, आदित्य L1 और गगनयान जैसी अद्भुत उपलब्धियों तक भारत की उल्लेखनीय अंतरिक्ष यात्रा कैसी रही – इसे देखते चलते हैं। इसी दौरान, वैश्विक स्तर पर अपनी अंतरिक्ष क्षमता बढ़ाने में भारत ने जो तकनीकी और वैज्ञानिक सफलताएँ अर्जित की हैं, उनकी भी चर्चा करेंगे। यही है भारत की अंतरिक्ष सफलता गाथा।
भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत
21 नवंबर 1963 – दक्षिण भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा से अमेरिका के नाइक-अपाचे साउंड रॉकेट की उड़ान के साथ भारत की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत हुई। महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के मार्गदर्शन में इस पहले रॉकेट का उद्देश्य ऊपरी वायुमंडल में दबाव को समझना था।
1962 में 715 किलो वज़नी पहले रॉकेट ने 30 किलो पेलोड के साथ 207 किलोमीटर की ऊँचाई को छुआ। बाद में, 1969 में, जिस चर्च से पहला रॉकेट छोड़ा गया था, उसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र नाम दिया गया। 15 अगस्त 1975 को भारत ने पहला उपग्रह आर्यभट अंतरिक्ष में भेजा, जिसे रूस से प्रक्षेपित किया गया था। यह पूरी तरह भारत में ही निर्मित था।
दो साल बाद, 1977 में, भारत का पहला संचार उपग्रह तैयार हुआ। 1979 में, भारत ने जलविज्ञान, वनों और समुद्र विज्ञान का अध्ययन करने के लिए भास्कर-I नामक पहला दूरसंवेदी उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा। इसके बाद 1980 में भारत ने अपना पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान बनाया। जुलाई 1980 में SLV-3 द्वारा रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुँचाया गया। इसी के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जो अपनी तकनीक से उपग्रह प्रक्षेपित कर सकते थे। इस उपलब्धि के पीछे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की दस वर्षों की कठिन मेहनत थी। इसलिए उन्हें भारत के स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान का पितामह कहा गया।
भारत का पहला अंतरिक्ष यात्री
1984 में “सारे जहाँ से अच्छा” गूँजा। राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने।
नई शताब्दी की ओर कदम
2008 में भारत का पहला मानवरहित रॉकेट चंद्रयान-1 प्रक्षेपित हुआ। 2012 में पहला नेविगेशन उपग्रह IRNSS-1A लॉन्च किया गया।
2013 में भारत ने मंगलयान (Mars Orbiter Mission) का प्रक्षेपण किया। यह अज्ञात क्षेत्र की खोज करने और ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने की दिशा में भारत का क्रांतिकारी कदम था।
मंगलयान की अद्भुत सफलता
5 नवंबर 2013 को PSLV-C25 से मंगलयान का प्रक्षेपण हुआ। इससे भारत मंगली कक्षा में उपग्रह भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बना। कम खर्च और प्रथम प्रयास में ही सफलता प्राप्त करना भारत की विशेषता रही। इस मिशन की लागत केवल ₹450 करोड़ रही, जबकि इसने 1,100 से अधिक तस्वीरें भेजीं।
27 सितंबर 2022 को मंगली कक्षा में आठ वर्ष पूरे होने पर इस मिशन की याद में राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित हुआ। मंगलयान ने भारत को एक विश्वसनीय अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया।
आगे की बड़ी छलाँगें
2015 में भारत ने आस्ट्रोसैट लॉन्च किया, जो पहला बहु-तरंग अंतरिक्ष वेधशाला था।
2017 में भारत ने एक ही बार में 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित कर रिकॉर्ड बनाया।
2018 में एक बार में 31 उपग्रह छोड़े गए।
2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया। हालांकि लैंडर से संपर्क टूट गया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया।
2023 में चंद्रयान-3 ने वह कर दिखाया जो पहले कभी किसी देश ने नहीं किया था। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बना। 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित यह यान 23 अगस्त को ऐतिहासिक रूप से चंद्रमा पर उतरा।
सूर्य की ओर भारत – आदित्य L1
चंद्रयान-3 के दो महीने बाद, 2 सितंबर 2023 को आदित्य L1 लॉन्च किया गया। यह सूर्य के अध्ययन का पहला भारतीय मिशन है। इस अंतरिक्ष यान को 127 दिन की यात्रा के बाद 6 जनवरी 2024 को L1 बिंदु की कक्षा में स्थापित किया गया। इसने सौर गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए सात उपकरणों को साथ लिया है।
भविष्य की योजनाएँ
भारत आने वाले वर्षों में गगनयान (मानवयुक्त मिशन), अपना अंतरिक्ष स्टेशन और शुक्रयान जैसी नई उपलब्धियों का गवाह बनेगा।
भारत की पहचान – आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति
इसरो की प्रगति के पीछे अनगिनत वैज्ञानिकों की मेहनत है। 1975 में पहले उपग्रह आर्यभट से लेकर आज तक, इसरो ने बार-बार साबित किया है कि भारत अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है।
सूर्य के रहस्यों को जानने वाला भारत, मंगल ग्रह की गुत्थियाँ सुलझाने वाला भारत और चंद्रमा पर तिरंगा फहराने वाला भारत – वह भारत है जिसने वहाँ तक पहुँचकर दिखाया जहाँ तक कोई नहीं पहुँचा।
आज भारत अंतरिक्ष में भी इतिहास रच रहा है।





















