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महाभैरव को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक, तेजपुर, असम का लाइसेंस भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रद्द कर दिया है,कुल 17 बैंकों का पंजीकरण रद्द

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महाभैरव को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक, तेजपुर, असम का लाइसेंस भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपर्याप्त पूँजी और कमाई की संभावनाओं की कमी के कारण 24 जुलाई 2024 से रद्द कर दिया है. इस वजह से बैंक पर सभी प्रकार के बैंकिंग कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, बैंक के जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि पर 5 लाख रुपये की सीमा तक बीमा दावा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे.

बैंक के बंद होने के मुख्य कारण:

अपर्याप्त पूँजी: बैंक के पास पर्याप्त पूँजी की कमी थी.

कम आय की संभावनाएँ: बैंक की कमाई करने की क्षमता भी बहुत कम थी.

नियामक आवश्यकताओं का उल्लंघन: बैंक बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा.

जमाकर्ताओं के लिए:

बैंक के लाइसेंस रद्द होने के बाद, जमाकर्ताओं के लिए एक परिसमापक नियुक्त किया गया है.

जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) से 5 लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि का दावा कर सकते हैं.

DICGC ने बैंक के जमाकर्ताओं को कुल बीमाकृत जमा राशि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पहले ही वितरित कर दिया है, जैसा कि Moneylife ने बताया है.

बैंक का इतिहास:

महाभैरव सहकारी शहरी बैंक लिमिटेड, तेजपुर का यह बैंक परिसमापन के अंतर्गत सूचीबद्ध है, जो दर्शाता है कि यह अब काम नहीं कर रहा है.

डीआईसीजीसी ने 2024-25 में 15 सहकारी बैंकों का पंजीकरण रद्द किया

भारत के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ने वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 17 बैंकों का पंजीकरण रद्द किया है। इनमें 15 सहकारी बैंक और 2 वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं। इस दौरान केवल दो नए बैंक—दमण एवं दीव राज्य सहकारी बैंक और एक विदेशी बैंक—को पंजीकृत किया गया।

राज्यवार विवरण

आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश तक कई सहकारी बैंकों की सदस्यता रद्द की गई। इनमें अकेले महाराष्ट्र से पांच बैंक बाहर हुए।

आंध्र प्रदेश: उरावकोंडा को-ऑपरेटिव टाउन बैंक और दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक

असम: महाभैरव को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक

बिहार: वैषाली शहरी विकास सहकारी बैंक

गोवा: सिटीजन को-ऑपरेटिव बैंक

कर्नाटक: नेशनल को-ऑपरेटिव बैंक, बेंगलुरु

महाराष्ट्र: सिटी को-ऑपरेटिव बैंक, राजापुर सहकारी बैंक, अंजनगांव सुरजी नागरी सहकारी बैंक, पुणे कमर्शियल को-ऑपरेटिव बैंक, जवाहर सहकारी बैंक

तमिलनाडु: कडलूर एवं विलुपुरम डी.सी. को-ऑपरेटिव बैंक

तेलंगाना: यादगिरि लक्ष्मी नरसिंह स्वामी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक

उत्तर प्रदेश: पूर्वांचल सहकारी बैंक और बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक

पंजीकृत बैंकों की संख्या में गिरावट

इन निष्कासन के बाद, 31 मार्च 2025 तक पंजीकृत बैंकों की कुल संख्या घटकर 1,982 रह गई, जो पिछले वर्ष 1,997 थी। वर्ष 2001 में 2,728 बैंकों के साथ जो सर्वोच्च स्तर था, उसके बाद से यह संख्या लगातार घट रही है।

सहकारी बैंकों की अहम भूमिका

संख्या घटने के बावजूद सहकारी बैंक भारत के वित्तीय समावेशन नेटवर्क की रीढ़ बने हुए हैं।

कुल 1,982 पंजीकृत बैंकों में से 1,843 (93%) सहकारी बैंक हैं।

इनमें 1,458 शहरी सहकारी बैंक (UCBs), 34 राज्य सहकारी बैंक और 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक शामिल हैं।

वाणिज्यिक बैंकों की संख्या मात्र 139 है, जिनमें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, पेमेंट बैंक और लोकल एरिया बैंक आते हैं।

जमा बीमा कवरेज में सहकारी बैंक आगे

सहकारी बैंकों की जमा बीमा सुरक्षा वाणिज्यिक बैंकों से अधिक है।

इंश्योर्ड डिपॉजिट अनुपात: सहकारी बैंकों का 63.1% जबकि वाणिज्यिक बैंकों का 41.5%।

पूर्ण सुरक्षा वाले खाते: सहकारी बैंकों में 98.3% खाते, जबकि वाणिज्यिक बैंकों में 97.6%।

प्रीमियम और क्लेम

डिक्क (DICGC) सभी बैंकों से कुल जमा पर वार्षिक 0.12% की दर से प्रीमियम वसूलता है।

वर्ष 2024-25 में 26,764 करोड़ रुपये का प्रीमियम प्राप्त हुआ, जो सालाना 12.1% की वृद्धि दर्शाता है।

इस दौरान निगम ने 476 करोड़ रुपये के क्लेम निपटाए।

👉 यह साफ है कि संख्या में कमी के बावजूद सहकारी बैंक ग्रामीण व शहरी छोटे जमाकर्ताओं के लिए सुरक्षा कवच बने हुए हैं और भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी।

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