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साध्वीश्री संगीतश्री जी ठाणा चार का आज प्रात: जैन भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुवा। कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किसी प्रकार का जुलूस आदि का आयोजन नहीं किया गया। साध्वीश्री जी के स्वागत समारोह का कार्यक्रम प्रशासनिक निर्देशों को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती सपना मालू, श्रीमती कुसुम सुराणा, श्रीमती मनीषा गुलगुलिया व श्रीमती द्वारा मंगलाचरण से किया गया। तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष प्रदीपजी सुराणा, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती प्रेम सुराणा, तेयुप अध्यक्ष पंकज नाहर, देवचंद जी बैद, कुमारी प्रेक्षा सांड आदि वक्ताओं ने अपने भावों से साध्वीश्री जी का स्वागत अभिनन्दन किया। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मधुर स्वागत गीतिका प्रस्तुत की गई।
गुवाहाटी से समागत अभातेयुप के जैन संस्कार विधि के राष्ट्रीय सह प्रभारी राकेशजी जैन व तेयुप गुवाहाटी के नव निर्वाचित अध्यक्ष आशीष जी कोचर ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। राकेश जी जैन ने शिलचर परिषद को जैन संस्कारक बनाने की प्ररेणा प्रदान की। साध्वीश्री शान्ति प्रभा जी, साध्वीश्री कमलविभा जी व साध्वीश्री मुदिताश्री जी ने अपने वक्तव्य में श्रावक-श्राविकाओं को चातुर्मास में ज्यादा से ज्यादा त्याग, तपस्या व धर्माराधना करने की प्रेरणा प्रदान की। साध्वीश्री संगीतश्री जी ने अपने प्रेरणादायक उदबोधन में कहा कि यह स्वागत आचार्य श्री महाश्रमण जी का है, त्यागी सन्तों का है। गुरु दृष्टि की आराधना करते हुए आज जैन भवन शिलचर में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हो गया है। सन्त समागम से तीनों काल आलोकित हो जाते है, धरती पावन पवित्र बन जाती है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मंत्री तोलाराम गुलगुलिया ने कहा कि हम शिलचरवासी आचार्य प्रवर के प्रति श्रद्धानत है कि आपश्री ने असीम अनुकम्पा करते हुए साध्वीश्री संगीतश्री जी ठाणा चार का चातुर्मास शिलचर प्रदान करवाया। साध्वीवृन्दो के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि गुरु दृष्टि की आराधना करते हुए आपने असम व मेघालय की दुर्गम घाटियों पार करते हुए इस उम्र में शिलचर जैसे सुदूर क्षेत्र में पधारने की कृपा कराई। आपके पधारने से शिलचरवासी रोम रोम प्रफुल्लित है।