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बड़खोला में साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल – मुस्लिम परिवारों ने दुर्गा पूजा मंडप हेतु दान की चार कट्ठा भूमि

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बरजात्रापुर, बड़खोला:
बराक घाटी के बड़खोला क्षेत्र में साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की ऐसी मिसाल देखने को मिली जिसने काजी नजरूल इस्लाम के उस शाश्वत प्रश्न — “क्या वे हिंदू हैं या मुसलमान?” — का सुंदर उत्तर दे दिया। यहां के लोग धर्म, जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर एक साथ पर्व मनाने की परंपरा निभा रहे हैं।
इस वर्ष बड़खोला द्वितीय भाग सर्वजनिन दुर्गा पूजा समिति के मंडप निर्माण के लिए स्थानीय मुस्लिम परिवारों ने चार कट्ठा भूमि दान की है, जिसका बाजार मूल्य लाखों टका बताया जाता है। यह भूमि स्थानीय शिक्षक तराबुल कलाम बरभुइया, उनके भाइयों तथा मुक्तार फैजुर बरभुइया ने संयुक्त रूप से दान की। इसी प्रकार विकास मालाकार और राजखरी मालाकार ने भी उदारता का परिचय देते हुए भूमि दान की।
समिति की एक बैठक अध्यक्ष प्रियरंजन बर्मन की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें सचिव अजीत दास ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023–24 के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग के अनटाइड फंड की दूसरी किस्त ₹7,03,347 रुपये प्राप्त हुई थी, जिससे मंडप निर्माण कार्य पूरा किया गया। इस वर्ष बड़खोला भाग II सार्वजनिक दुर्गा पूजा अपने 49वें वर्ष में प्रवेश कर गई है।
समिति द्वारा हर वर्ष की भांति इस बार भी दुर्गा षष्ठी के दिन गरीब एवं जरूरतमंद महिलाओं को साड़ियाँ वितरित की गईं। पिछले लगभग पाँच दशकों से यह पूजा धर्मनिरपेक्षता, एकता और सद्भाव की प्रतीक बनी हुई है, जहाँ सभी धर्मों के लोग समान उत्साह से भाग लेते हैं।
बैठक में उपस्थित प्रमुख अतिथियों में शिक्षाविद् ताराबुल कलाम बरभुइया, पूर्व जिला परिषद सदस्य सरल मोहन देब, जहूरुल इस्लाम बरभुइया, जोयनल आबेदीन मजहरभुइया, असम प्रदेश भाजपा एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष अमलेंदु दास, एसईडीओ संगठन के उपाध्यक्ष बिप्लब देव, रजत देव, चेसरी जीपी के पूर्व अध्यक्ष भानु भूषण दास तथा वर्तमान अध्यक्ष प्रबिता देवी शामिल थे।
सभी वक्ताओं ने बड़खोला के लोगों की सौहार्दपूर्ण भावना और एकजुटता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पूरे राज्य के लिए एक आदर्श बन रहा है, जहाँ दुर्गा पूजा और ईद दोनों पर्व समान उत्साह से मनाए जाते हैं।
बैठक में एसआई मनीराम कलिता, बिकास दास, बब्लू मालाकार, पूर्व जीपी अध्यक्ष कोंकण चक्रवर्ती, सुमन देव, मृणाल देव, अब्दुल कलाम बरभुइया सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
बड़खोला आज पूरे देश के लिए यह संदेश दे रहा है कि धर्म की असली पहचान इंसानियत और एकता में है।

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