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कविता: दीपों का उत्सव – दीपावली 

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दीपों की रौशनी से जगमगाता है घर,
हर कोना महके जैसे फूलों का नगर।
प्रकाश की किरणें लाती हैं नई उमंग,
मन में जगाती हैं आशा के रंग। 🌠
अंधकार को दूर भगाती है दीपावली,
हर हृदय में जगाती नई रोशनी।
दुखों के साए को करती है पल में गायब,
हर चेहरे पर मुस्कान का करती है प्रयोग। ✨
दीपों की लौ में स्नेह और प्यार है,
हर जलता दीप किसी का उपहार है।
माँ लक्ष्मी आएं आँगन में हर साल,
भर दें जीवन में सौभाग्य और माल। 💰🌸
आओ मिलकर मनाएँ यह पावन त्योहार,
भूलें गिले-शिकवे, करें दिल से प्यार।
दीप जलाएँ हर आँगन में, हर द्वार पर,
खुशियों की बरसात हो इस त्योहार पर। 🪔
बच्चों की हँसी, रंगोलियों की छटा,
फूलों की खुशबू, मिठाइयों की रटा।
आकाश में छूटे आतिशबाजी के रंग,
हर दिल में झूमे आनंद के संग। 🎆
दीपावली की रात है, उल्लास का पहर,
हर मन में चमक उठे उजियारा सुंदर।
दीप जलाएँ, प्रेम फैलाएँ, दिलों को मिलाएँ,
दीपावली की शुभकामनाएँ —
हर घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाएँ। 🌺✨
नाम  :- दीपाली सिंह

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