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बरम बाबा  परिसर में अयोध्या

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असम में जीने के आधार
कह सकते  हैं
बरम बाबा  को।
घर से आठ किलोमीटर दूर
पहाड़ियों  के बीच
सरोज-सरोवर के  समीप
पंच मंदिरों  का समूह।
अद्भुत आकर्षण का केन्द्र
दूर से  सुगंधित हवाएं
आच्छादित हो जातीं मन के
समस्त  वलयों पर।
भोर से सजा- संवरा
संयुक्त और  पृथक मंदिरों का समूह
बरम बाबा भोजपुरी क्षेत्र के
प्रमुख  क्षेत्र- देवता हैं।
बागानवासियों  के  पुरोधा भी
सुनते हों  मानो सबकी बात
सबका  ख्याल  रखते
विचलित मन के विश्रांति थे बाबा।
सबसे  कोने  वाले मंदिर में
मारूतिनंदन  की  मोहक मूर्ति
अलौकिक मुस्कान  के साथ
स्वागत  करती  जान पड़ती।
अक्सर  वहाँ  सुंदरकांड पाठ
और  हनुमान चालीसा के स्वर
अनुगूंजित  होते।
वहाँ  हनुमान जी से अधिक
राम की  प्रतीति  होती।
लाल रंगों में  शौर्य जब मुस्कुराता है।
श्री हनुमान बन  जाता है।
अनेक अनुष्ठान नित्य ही होते रहते।
पूर्वोत्तर के शाक्त- पूजन परंपरा में
वैष्णव ठिकान  की  शीर्ष स्थली
अयोध्या की कमी  पूरी करती
आते- जाते हम अवश्य रूकते
उतरते- मिलते ।
फिर  दिन भर की थकान छू हो जाती।
न जाने उस  परिधि में
कहां  बैठी थी  सिया ?
संताप  – हरण करती हुई
मनोमालिन्य को  सुरेख बनाती
भीतर ही भीतर
मुस्कुराती  दोनों हाथ धर देती
माथे पर।
वनांचल की महारानी  बनकर।
शुभदा पांडेय।

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