प्रेरणा भारती, निहार कांति राय, उदारबंद:
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक देश को आर्थिक दृष्टि से विश्व की प्रथम पंक्ति में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस स्वप्न को साकार करने के लिए किसानों को आत्मनिर्भर बनना आवश्यक है। यह बात शिलचर के सांसद परिमल शुक्लवैद्य ने कही।
शनिवार को झापीरबंद एम.ई. स्कूल में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देशानुसार जिला कृषि अधिकारी कार्यालय के सौजन्य में आयोजित काती बिहू उत्सव एवं कृषक सम्मेलन में वे मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
सांसद सुखलवैद्य ने अपने स्वाभाविक सौम्य अंदाज़ में काती बिहू का महत्व समझाते हुए कहा कि बिहू तीन प्रकार का होता है — रंगाली, कोंगाली और भोगाली। अहिन मास की संक्रांति के दिन मनाया जाने वाला काती बिहू दरअसल वह समय है जब किसानों के भंडार लगभग खाली होते हैं। ऐसे समय में किसान खेतों में दीया जलाकर लक्ष्मी देवी से अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं।
उन्होंने कहा कि आज झापीरबंद में कृषि विभाग द्वारा पूरे दिन चलने वाले इस सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से सृजन और श्रम के आनंद का उत्सव मनाया जा रहा है। यह केवल नृत्य और संगीत का पर्व नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत का उत्सव है।
शुक्लवैद्य ने कहा, “पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने कभी किसानों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया, जिसके कारण अनेक किसानों को आत्महत्या तक करनी पड़ी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रतिवर्ष ₹6,000 की सहायता दी जा रही है ताकि वे अच्छे बीज, खाद और कृषि उपकरण खरीद सकें।”
उन्होंने आगे बताया कि झापीरबंद की मिट्टी उपजाऊ है, यहाँ की मृदा परीक्षण से सिद्ध हुआ है कि इस क्षेत्र में भरपूर फसल हो सकती है। “आप लोग अपनी भूमि को खाली मत छोड़िए, यह मिट्टी सोना उगलेगी,” उन्होंने किसानों से कहा।
कार्यक्रम में उधारबंद के विधायक मिहिर कांती सोम ने युवाओं से आह्वान किया कि वे नौकरी के पीछे भागने के बजाय स्वावलंबी किसान बनें और अपने खेतों में खेती करें।
कृषि उपविभागीय अधिकारी जयनाल आबेदीन ने बताया कि जब वे उदारबंद विकास खंड में पदस्थ थे, तब झापीरबंद की मिट्टी और लोगों के साथ उनका गहरा आत्मीय संबंध बन गया था। यहाँ की मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि उन्होंने स्वयं स्ट्रॉबेरी से लेकर आलू तक की खेती सफलतापूर्वक की थी। उन्होंने कहा कि अब कुछ युवा पाम ऑयल की खेती कर रहे हैं, जिससे भविष्य में उन्हें अच्छा आर्थिक लाभ मिलेगा।
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों में जिला कृषि अधिकारी आर.एन. अहमद, पूर्व ए.पी.सी. अध्यक्ष नेपाल सिंह, सेवानिवृत्त शिक्षक बाटू बाबू राजवंशी, कृषि खंड अधिकारी पार्थ प्रतिम चुतिया, हितेश डेका, मृन्मय नाथ, तथा जिला परिषद सदस्य रहित सिंह शामिल थे।
सभी वक्ताओं ने किसानों से आग्रह किया कि वे दलहन फसलों और सब्ज़ियों की खेती में अधिक रुचि दिखाएँ ताकि क्षेत्र आत्मनिर्भर बन सके।
कार्यक्रम में उपस्थित थे — अरुणाचल कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक सुरेश चंद्र विश्वास, कृषि खंड विकास अधिकारी पुष्पांजलि शर्मा, ऑयल पाम टेक्नोलॉजी सहायक अरिस्मिता गोगोई, उदारबंद ब्लॉक पंचायत अध्यक्ष सुमन कियौत, समाजसेवी राजन पुरकायस्थ, कृषि मोर्चा जिला सचिव मृणाल दत्ता, अग्रि जिला सचिव मनीतन सिंह, लारसिंग जीपी अध्यक्ष इंदिरा सिंह, पंचायत सदस्य भारती राजवंशी, कृषि निरीक्षक पवन चक्रवर्ती और ग्राम सेवक आजाद हुसैन चौधरी।
इस अवसर पर 10 प्रगतिशील किसानों को पदक, प्रमाणपत्र और बीज देकर सम्मानित किया गया, जबकि अन्य 10 किसानों को मटर बीज प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में ‘पखिला दल’ द्वारा प्रस्तुत झूमुर नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। इसमें नीहारिका, अर्पिता, सिया, रिया, प्रमिका, कल्पी, दीपाशा, सोनाक्षी और आरोही राजवंशी सहित कई कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। साथ ही सुरंजना राजवंशी ने नेपाली नृत्य प्रस्तुत किया। सभी कलाकारों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
संध्या समय सांसद परिमल शुक्लवैद्य, विधायक मिहिर कांती सोम और अन्य अतिथियों ने धान के खेतों में दीप प्रज्वलन कर काती बिहू की परंपरा निभाई। आयोजन में सक्रिय सहयोग रहा राजेश, ममी, अमिता, भारती और आचार्य राजवंशी सहित कई ग्रामीणों का।
कार्यक्रम का संचालन पत्रकार निहार कांति राय ने किया।
अवसर पर विश्वजीत दास, एनामुल हक लस्कर, जयन दास सहित लगभग एक हजार से अधिक ग्रामीण उपस्थित थे।





















