शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है मानव निर्माण – सुरेश सोनी
शिक्षा धन सर्वोत्तम है – राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य
गुवाहाटी, 18 अक्टूबर 2025।
प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय के परिसर में पूर्वोत्तर शिक्षा सम्मेलन 2025 का भव्य आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ असम के शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू ने किया। उद्घाटन अवसर पर विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. कैलाश शर्मा, AICTE के चेयरमैन प्रो. टी.जी. सीताराम, तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सचिव प्रो. मनीष आर. जोशी सहित अनेक गणमान्य शिक्षाविद उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री डॉ. रनोज पेगू ने विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान एवं किताब वाले द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित पुस्तक “भारत बोध – भारतीय ज्ञान परंपरा” का विमोचन किया।
सम्मेलन के अंतर्गत विभिन्न समानांतर सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इनमें उत्तर-पूर्व क्षेत्र के विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलपतियों एवं निदेशकों की बैठक, भारतीय ज्ञान परंपरा एवं भारतीय भाषाओं का संवर्धन, सामाजिक विज्ञानों का भविष्य, उद्यमिता, नवाचार एवं औद्योगिक संपर्क, उत्कृष्टता की दिशा में संस्थागत पहल (आईक्यूएसी) तथा उत्कृष्टता की दिशा में संस्थागत पहल (कॉलेज नेतृत्व) जैसे विषय प्रमुख रहे।

समापन सत्र में असम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। त्रिपुरा सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री किशोर बर्मन विशिष्ट अतिथि के रूप में तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मा. सुरेश सोनी मुख्य वक्ता के रूप में कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर शंकरदेव शिक्षा एवं शोध संस्थान के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कलिता, प्राग्ज्योतिषपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. स्मृति कुमार सिन्हा, पंजीयक प्रो. जोगेश काकती, तथा विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के सचिव प्रो. किरण हजारिका मंच पर उपस्थित रहे।

अपने प्रेरक उद्बोधन में मा. सुरेश सोनी जी ने कहा कि केवल सैद्धांतिक शिक्षा पर्याप्त नहीं है, मनुष्य को व्यावहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता है। शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य मानव निर्माण होना चाहिए। हमें ऐसे आविष्कार और अनुसंधान की दिशा में अग्रसर होना चाहिए जिससे समस्त समाज का कल्याण हो सके। राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि सभी धन में शिक्षा धन सर्वोत्तम है, क्योंकि यह समाज और राष्ट्र दोनों के उत्थान का माध्यम बनती है।





















