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गीत : ज्ञान प्रकाश जला दो मन में

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(धुन – “तू प्यार का सागर है”)
ज्ञान प्रकाश जला दो मन में, हर तम दूर भगा दो,
भयभीत न हों जीवन में हम, वो आग हृदय में जगा दो ॥
“असतो माँ सद्गमय”
असत् के पथ से निकालो हमको, सत्य दिशा दिखा दो,
भटके मन के अंधेरों में, दीप विवेक जला दो ॥
सच्चे जीवन की डगर बने ये, हर पग को शुभता साधन दो ,
ज्ञान प्रकाश जला दो मन में, हर तम दूर भगा दो ॥
(प्रतिध्वनि -कोरस)
सत्यम की लौ जगाओ मन में, भ्रम का पर्दा उठा दो,
ज्ञान प्रकाश जला दो मन में, हर तम दूर भगा दो ॥
– तमसो माँ ज्योतिर्गमय
तम के सागर में खोए हम हैं, ज्योति की राह दिखा दो,
अंतर की बुझती शिखा हमारी, फिर से प्राण जगा दो ॥
भय से ऊपर उड़ें हमेशा-हर कर्म का नव आयाम दो,
झूट के सागर से निकलें हम- हर अवसाद जगत से मिटा दो ।
छूटे अंधेरा मन का सारा, दीप विश्वास जला दो,
भयभीत न हों जीवन में हम, वो आग हृदय में जगा दो ॥
– मृत्युर्मा अमृतं गमय
मृत्यु के भय से मुक्ति मिले जब, अमृत-सा ज्ञान बहा दो,
छूटे मोह माया के बंधन, चेतन में फूल खिला दो ॥
जीवन बन जाए दीपक जैसा, आलोकित सबका पथ कर दो —
प्रेम का दीप जलाकर मन में, प्यार की रीत जगा दो ।
(प्रतिध्वनि -)
सुख का संदेश गूँजे जग में, हर मन ज्योति जगा दो,
ज्ञान प्रकाश जला दो मन में, हर तम दूर भगा दो ॥
– शुभ दीपावली
हर घर में अब दीये जलें, हर मन में प्यार की ज्वाला दो,
ज्ञान की गंगा बहे निरंतर, हर कोना जगमग उजियारा दो॥
ममता, दया, स्नेह के दीपक, हर जीवन को दमका दो –
हर हृदय बने मंदिर जैसा- स्वयं को दिल में बसा दो ॥
(समापन प्रतिध्वनि )
जय ज्योति, जय ज्ञानमयी माँ, शुभता जग में बसा दो,
मृत्यु भय मिटा दो मन में, अमरता की राह दिखा दो ॥
हरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, नई दिल्ली
मौलिक व स्वरचित
@ सर्वाधिकार सुरक्षित
२०-१०-२०२५ ( शुभ – दीपावली )
( नोट- इस गीत की “ तू प्यार का सागर है … गीत की धुन पर या फिर और किसी आसान धुन पर गा सकते हैं । कोई अगर गाये तो प्लीज़ वीडियो मुझे भेजें ।)
🙏🏻🙏🏻

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