भुवनेश्वर नगर, बारोपुआ ग्राम — भुवनेश्वर साधु ठाकुर की 156वीं आविर्भाव तिथि आज भुवनेश्वर नगर के बारोपुआ ग्राम स्थित भुवनेश्वर साधु ठाकुर स्मृति मंदिर प्रांगण में भक्तिभाव और धार्मिक उत्साह के साथ मनाई गई। सुबह से ही श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ पड़ी। पूरे दिन चलने वाले इस आध्यात्मिक उत्सव में भक्ति, स्मरण और सामूहिक आनंद का अद्भुत वातावरण বিরाजमान रहा।
दिन का शुभारंभ ब्रह्ममुहूर्त में मंगल आरती और भक्ति संगीत के साथ हुआ। सुबह छह बजे वासाक युवा संघ के উদ্যোগ में लगभग एक हजार भक्तों की भागीदारी में एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। ठाकुर की प्रतिमा से सुसज्जित यह शोभायात्रा भुवनेश्वर नगर से प्रारंभ होकर खाम्बार बाजार स्थित श्रीश्री राधा गोविंद मंदिर का परिक्रमा कर पुनः स्मृति मंदिर प्रांगण में लौट आई।
दोपहर में मंदिर परिसर में एक स्मृतिचर्चा सभा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ शिक्षक जितेंद्र कुमार सिन्हा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे सांसद परिमल शुक्लवैद्य, जिन्होंने अपने संबोधन में कहा—
“भुवनेश्वर साधु ठाकुर एक महान आत्मा थे, जिन्होंने ईश्वर-चेतना के प्रसार के माध्यम से मानव कल्याण की दिशा में एक नया अध्याय रचा।”
राज्यसभा सांसद कणाद पुरकायस्थ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा—
“धर्म हमें शुद्धता, न्याय और भक्ति के मार्ग पर चलना सिखाता है। भुवनेश्वर साधु ठाकुर का जीवन इस सत्य का जीवंत उदाहरण है।”
सभा के उपरांत सुरबाला सिन्हा ने ठाकुर के जीवन एवं उपदेशों पर आधारित एक प्रेरणादायक जीवनी पाठ प्रस्तुत किया। दोपहर एक बजे से रासकीर्तन पाठ और भक्ति संगीत कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, जो शाम चार बजे तक चला। इसके बाद सभी श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया गया।
पूरे आयोजन का सफल संचालन उत्सव आयोजन समिति द्वारा किया गया। समिति के अध्यक्ष विवेकानंद सिन्हा, कार्यकारी अध्यक्ष कृष्णकांत सिन्हा, उपाध्यक्ष हरिपद सिन्हा, कोषाध्यक्ष सतीश सिन्हा, सचिव ब्रजकांत सिन्हा, सहसचिव रत्न ज्योति सिन्हा, देवजीत सिन्हा, मायपाक सिन्हा, अमृत कांति सिन्हा, तथा प्रचार सचिव श्यामकिशोर सिन्हा समेत अन्य सदस्यों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।
यह दिव्य और भावपूर्ण आयोजन भुवनेश्वर साधु ठाकुर के भक्ति, मानवसेवा और शांति के शाश्वत संदेश को पुनः स्मरण कराने के साथ-साथ श्रद्धालुओं के हृदय में नई आध्यात्मिक चेतना का संचार कर गया।





















