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अंधियारे को दूर भगाने आई,
खुशियों की सौगात सजाने आई।
हर द्वार पर दीप जले हंसते,
मन में आशा के फूल खिले बसते।
सज गई गलियाॅं, महके आंगन,
बाजे ढोल ,खिल उठे जीवन।
मां लक्ष्मी के चरण पधारे,
सौभाग्य के दीप जलाने सारे।
मिठास घुली हर रिश्ते में,
दीप जले हर दृष्टि में।
दुःख का हर कोना मुस्काए,
हर हृदय दीप बन जाए।
चलो मिलकर वादा करो,
प्रेम के दीप सदा भरें।
ना हो द्वेष, ना हो छलावा,
यही तो असली दीपावली मनभावा।।
-जुरी दास





















