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पंकज चौहान, खेरनी, २९ अक्टूबर : पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में अफरा-तफरी का माहौल है। जंगली हाथियों का एक झुंड दिन-रात घूमकर कई गांवों में धान और गन्ने की फसलों को तबाह कर रहा है। संकट उस वक्त और बढ़ गया जब २२ अक्टूबर को होजाई-पश्चिम कार्बी आंगलोंग सीमा के निकट खारिखाना बिल गांव के पास दो हाथियों की करंट लगने से मौत हो गई। इसके बाद बचा हुआ झुंड मानव बस्तियों में और गहराई तक घुस आया।

माजगांव, खेरोनी नेपाली बस्ती, बगीसादुबी, धिकरेंग (नौघरवा), लंबापाथर, रनाइमा, पुराना बस्ती, वाटीजोर और अन्य सीमावर्ती इलाकों ने इस विनाश का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगता है। किसानों का कहना है कि कटाई के ठीक पहले पके हुए धान और गन्ने के खेतों को हाथियों ने रौंदकर बर्बाद कर दिया है।
“हाथी दिन-रात निकल रहे हैं। हमारा सब कुछ लुट गया—धान चपटा हो गया, गन्ना उखाड़ फेंका गया। अब परिवार का पेट कैसे भरेंगे?” एक व्यथित किसान ने कहा।
बार-बार अपील करने के बावजूद वन विभाग झुंड को काबू करने या जंगल की ओर खदेड़ने में नाकाम रहा है। स्थानीय लोग अधिकारियों पर अपर्याप्त उपायों का आरोप लगा रहे हैं, जैसे कि सौर बाड़ की खराबी या गश्त की कमी, जिससे मानव-पशु संघर्ष और बढ़ गया है।

अब सबसे बड़ा सवाल मुआवजे का है: किसानों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा? पीड़ित किसानों ने वन विभाग और कृषि विभाग समेत संबंधित विभागों से तत्काल और उचित मुआवजा देने की मांग की है।
वन विभाग के अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे, लेकिन सूत्रों के अनुसार झुंड पर नजर रखने के प्रयास जारी हैं। जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, निवासी आगे की तबाही रोकने और प्रभावित समुदायों को न्यायोचित राहत सुनिश्चित करने के लिए त्वरित हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं।





















