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भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने ट्रैक्टर पर यूरो 5 लागू करने को लेकर सरकार को दिए कुछ सुझाव

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भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने ट्रैक्टर पर यूरो 5 लागू करने को लेकर सरकार को दिए कुछ सुझाव
आज भारत सरकार द्वारा कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की अध्यक्षता में ट्रैक्टर पर यूरो 5 लागू करने को लेकर हुए बैठक में एक रिपोर्ट पर चर्चा भी की गई, जिसमें कुछ सिफारिश की गई थी। बैठक में किसान, उद्योग, मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने अपने विचार दिए।
माननीय मंत्री जी ने कहा कि किसान के ट्रैक्टर की तुलना व्यावसायिक वाहन से नहीं हो सकती हैं। पहले ट्रैक्टर और दूसरे वाहनों से होने वाले प्रदूषण का आंकलन किया जाय। इसके बाद मंत्रालय अपनी रॉय देगा
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक की और से धर्मेंद्र मालिक ने निम्न विचार दिए
माननीय
          श्री शिवराज सिंह चौहान
          केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
           भारत सरकार नई दिल्ली ।
विषय- ट्रैक्टर पर TERM -IV और  TERM -V के मानक लागू करने पर किसानों के सुझाव
महोदय,
हम भारत के मेहनतकश किसान, देश के पर्यावरण और स्वच्छ ऊर्जा अभियान के समर्थक हैं लेकिन इस विषय पर नीति बनाते समय खेत-खलिहान की वास्तविकता को समझना भी  आवश्यक है। हाल ही में ट्रैक्टरों पर लागू किए गए TREM-IV एवं TREM-V emission norms के कारण किसानों पर आर्थिक बोझ एवं अत्यधिक  परेशानी बढ़ सकती है। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक इस  विषय पर निम्न बिंदुओं पर सुझाव देती है
1.छोटे किसान पर आर्थिक बोझ- नए उत्सर्जन नियम लागू होने पर छोटे किसान पर नया ट्रैक्टर खरीदने का जबरदस्त दबाव पड़ेगा । जिससे किसानों पर कर्ज का भार बढ़ेगा।इसका अधिक लाभ केवल उद्योग को होगा,लेकिन किसान की जेब पर भारी मार पड़ेगी।
 ट्रैक्टर महंगे होगे नई तकनीक से ट्रैक्टर की कीमत ₹2–3 लाख तक बढ़ गई है, जो छोटे किसानों की क्षमता से बाहर है।
2. तकनीकी प्रशिक्षण और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी — किसानों और ग्रामीण मिस्त्रियों को इन नई मशीनों की तकनीकी जानकारी नहीं है। जिससे मेंटेनेंस जटिल और महंगा होगा।EFI और DPF जैसे उपकरण गांवों में मरम्मत योग्य नहीं हैं; कंपनी सर्विस पर निर्भर रहना पड़ता है।पुराने ट्रैक्टरों पर रोक लगी तो मैकेनिक वर्ग पर बेरोजगारी का बोझ पड़ेगा और  ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ट्रैक्टर मैकेनिक भी रोटी कमाता है।
 3.  70 HP से नीचे के ट्रैक्टरट्रैक्टर को कार/कमर्शियल वाहन जैसा न माना जाए-
हम मानते हैं कि 70 HP से अधिक ट्रैक्टर पर सख्त उत्सर्जन नियम लागू हों,क्योंकि इतने बड़े ट्रैक्टर का उपयोग अक्सर कमर्शियल कार्य(गैर कृषि कार्य)भारी इंडस्ट्रियल उपयोग में अधिक होता है, किसान इससे प्रभावित नहीं होता।
4. 70 HP से नीचे नियम का जोखिम  न हो-
यदि 70 HP से कम ट्रैक्टरों पर भी कड़े नियम लागू कर दिए गए, तो छोटे किसान नया ट्रैक्टर नहीं खरीद पाएगा
वह मजबूरी में पावर-वीडर और छोटे साधनों पर चला जाएगा। इसका सीधा नुकसान  ट्रैक्टर उद्योग को होगा
यानि नीति उलटी दिशा में किसानों और इंडस्ट्री दोनों को नुकसान पहुँचा सकती है।
इस विषय पर हमारा सुझाव स्पष्ट है कि ट्रैक्टर पर कार-ट्रक जैसे नियम न लागू हों
इंजन-कंडीशन आधारित PUC लागू रहे
ट्रैक्टर की लाइफ-लिमिट न तय की जाए
70 HP से नीचे के ट्रैक्टरों को नियम से बाहर रखा जाए
यह कदम किसान, ग्रामीण रोजगार और कृषि-अर्थव्यवस्था—तीनों के हित में होगा।
5. प्रदूषण की सच्चाई – वास्तविकता यह है कि इंजन खराब होने पर ही प्रदूषण बढ़ता है।किसी भी ट्रैक्टर का इंजन यदि कमजोर होगा  तो उससे खेती का कार्य संभव नहीं है, क्योंकि ट्रैक्टर हमेशा खेत में लोड पर चलता है। ट्रैक्टर का कमजोर इंजन खेत में कार्य नहीं कर सकता है  तो किसान उसे ओवरहॉल करवाता है।
इसलिए प्रदूषण नियंत्रण इंजन की कंडीशन और पावर आउटपुट पर आधारित होना चाहिए, उम्र पर नहीं।
हर साल PUC हो,ट्रैक्टर की उम्र सीमा न हो,क्योंकि भारत में ज़मीन छोटी है,
इसी कारण 15–20 साल का ट्रैक्टर भी किसान के लिए पूरी तरह उपयोगी रहता है।वर्तमान उपयोग के आधार पर वास्तविक आंकड़ा यह है एक औसत किसान जिसके पास 20 एकड़ ज़मीन है, वह एक वर्ष में लगभग 200 –250 घंटे ही ट्रैक्टर से काम करता है।दैनिक औसत देखें तो लगभग 25मिनट प्रतिदिन ट्रैक्टर चलता है।इतना प्रदूषण ट्रैक्टर से नहीं होता,जितना उससे अधिक घरो में गैस-चूल्हों, जेनरेटर आदि से होता है।
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक आपसे आग्रह करती है कि
TREM-IV/V मानकों के क्रियान्वयन को चरणबद्ध तरीके से लागू कर ऐसा समाधान किया जाए जिससे किसानों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
हम किसान देश के विकास में सहभागी हैं, परंतु नियमों को किसान की आर्थिक स्थिति देखकर ही लागू किया जाना चाहिए।
सादर,
किसान समुदाय की ओर से
आपका
धर्मेंद्र मलिक
राष्ट्रीय प्रवक्ता
भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक

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