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प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका मीता दास पुरकायस्थ की गद्य-पद्य कृति ‘एवं कथालिपि’ का भव्य लोकार्पण समारोह संपन्न

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पश्चिम बंगाल के बकखाली में आयोजित ‘समुद्र जानाला बकखाली कविता उत्सव’ में बराक घाटी की प्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका और प्रकाशक मीता दास पुरकायस्थ की दसवीं गद्य-पद्य कृति ‘एवं कथालिपि’ का भव्य लोकार्पण समारोह बुधवार, 5 नवंबर को संपन्न हुआ।
उत्सव के मुख्य मंच पर पुस्तक का औपचारिक लोकार्पण पश्चिम बंगाल के कवि सुमिताभ घोषाल, कवि कानाईलाल जाना, दुर्गापुर के उपन्यासकार और चित्रकार मनीशंकर, तथा कवि-प्रबंधक पार्थजीत चंद सहित कई साहित्यप्रेमी व्यक्तित्वों ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का संचालन सुविख्यात कवि वीरेन्द्र कृष्ण पड़ुआ ने अत्यंत सुसंयोजित ढंग से किया।
अपने वक्तव्य में कवयित्री मीता दास पुरकायस्थ ने कहा—
«“कविता रचना मेरे लिए जीवन के आनंद में जीने का एक माध्यम है। लेखन के माध्यम से ही नये विचार और सृजन के नये रास्ते जन्म लेते हैं।”»
उन्होंने आगे कहा कि कविता, संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए यह उत्सव साहित्य जगत के लिए एक जीवंत संपर्क मंच के रूप में उभर रहा है।
‘एवं कथालिपि’ पुस्तक का प्रकाशन नया दिगंत प्रकाशनी ने किया है। इस अवसर पर कवि सौगत प्रधान, त्रिपुरा के कवि सौविक बागची, संजय दत्त, अनुपम राय, अपरांशु देवनाथ, टिंकु रंजन दास, मंदाकिनी भट्टाचार्य, तथा वरिष्ठ साहित्यकार चयन साहा समेत अनेक विशिष्ट साहित्यप्रেমी उपस्थित थे।
दिनभर चली कविता-पाठ, संगोष्ठी और संगीत की सत्रों से उत्सव का माहौल साहित्य और संस्कृति की उज्ज्वल आभा से भर उठा।
बकखाली का यह कविता उत्सव बराक घाटी और पश्चिम बंगाल के कवि-लेखकों के बीच साहित्यिक सेतु को और सशक्त बना गया, और ‘एवं कथालिपि’ का लोकार्पण उस सृजनशील संबंध का एक सार्थक प्रतीक बन गया।

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