प्रधान शिक्षक की विदाई पर भावनाओं का सैलाब – रुपाछोड़ा प्राथमिक विद्यालय में सहकर्मियों और छात्रों की आंखें नम
काछाड़: काछाड़ ज़िले के हाथीछोड़ा ग्राम पंचायत के अंतर्गत स्थित 723 नं. रुपाछोड़ा प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को एक भावनात्मक विदाई समारोह का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्रधान शिक्षक काजल कुमार दास 15 वर्षों की लंबी शिक्षकीय सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए।
विद्यालय एक दुर्गम चाय-बागान क्षेत्र में स्थित है, जहाँ एक समय पुल तक नहीं था और आज भी सड़क व नेटवर्क की गंभीर समस्या बनी हुई है। बावजूद इसके, काजल कुमार दास रोज़ाना विद्यालय पहुँचे और कभी-कभी पानी के बीच से होकर छात्रों को पढ़ाने पहुंचे। उनके इस समर्पण ने स्थानीय लोगों के बीच उन्हें एक प्रेरणास्रोत शिक्षक के रूप में स्थापित किया है।

शुरुआत में कार्यक्रम को विद्यालय के परीक्षा कक्ष में आयोजित करने की योजना थी, लेकिन भारी भीड़ — जिसमें छात्र, अभिभावक और ग्रामीण शामिल थे — के कारण कार्यक्रम को विद्यालय के खुले मैदान में स्थानांतरित करना पड़ा।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षक प्रेमांशु शील ने किया, जबकि नेतृत्व वर्तमान प्रधान शिक्षक हमिदुल इस्लाम और सहायक शिक्षक सुशांता दत्ता ने किया।
समारोह में सीआरसीसी सुदीप शेखर राय, स्थानीय जीपी अध्यक्ष कल्याणी कुर्मी, वार्ड सदस्य राजेश्वर उरांव सहित क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत छात्रों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक लोकनृत्य से हुई, जिसने बराक घाटी की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया। एक अभिभावक ने कहा—
“काजल सर केवल एक उत्कृष्ट शिक्षक नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के सच्चे मार्गदर्शक थे। वे बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रेरित करते थे।”
विद्यालय प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष ने भावुक स्वर में कहा—
“सर अपने छात्रों का ध्यान अपने बच्चों की तरह रखते थे। यदि कोई बच्चा विद्यालय नहीं आता, तो वे स्वयं घर जाकर हालचाल लेते। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ा।”
विदाई भाषण में काजल कुमार दास ने कहा—
“मैंने हमेशा यही प्रयास किया कि बच्चों की शिक्षा में कोई कमी न रहे। कार्यकाल में यदि मुझसे कोई भूल हुई हो तो क्षमा चाहता हूँ। आज जो स्नेह मिला, वह मेरे जीवन की सबसे अनमोल पूँजी है।”
समारोह के अंत में उन्हें स्मृति चिन्ह, उत्तरिय और विभिन्न उपहार देकर सम्मानित किया गया। जब वे मंच से उतरे, तो विद्यालय प्रांगण में शिक्षक, छात्र और अभिभावकों की आंखें नम थीं — मानो किसी परिवार के सदस्य को विदा किया जा रहा हो।
— प्रेरणा भारती दैनिक





















