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रामकृष्णनगर में छात्र आंदोलन के शहीद सागर–दीपक की स्मृति में श्रद्धांजलि समारोह
हीरक बनिक, रामकृष्णनगर | 18 नवंबर
कांग्रेस शासनकाल के दौरान वर्ष 1982 में रामकृष्णनगर विद्यापीठ में हुई ऐतिहासिक छात्र आंदोलन में शहीद हुए दो छात्र—सागर दत्ता और दीपक शर्मा—की 44वीं शहादत दिवस पर आज गहन श्रद्धा व मर्यादा के साथ स्मरण किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के आम जनता, विभिन्न শিক্ষা संस्थानों के विद्यार्थी, शिक्षक और अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।
दिन की शुरुआत होती है शहीद सागर–दीपक के स्थायी स्मृति वेदी पर माल्यदान और पुष्पांजलि अर्पण के साथ। रामकृष्ण विद्यापीठ सहित विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थी इसमें सम्मिलित हुए। इसके बाद नेताजी नगर परिसर में स्मृति सभा आयोजित हुई , जहाँ शहीद सागर–दीপक स्मृति रक्षा समिति के सदस्य और क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों ने विचार प्रस्तुत किया।
वक्ताओं ने याद किया कि 1982 में विद्यापीठ के तत्कालीन प्रबंधन की अनियमितता और अराजकता के विरुद्ध छात्रों ने साहसपूर्वक आवाज उठाई थी। शिक्षा व्यवस्था को सही दिशा में रखने और छात्र हितों की रक्षा के लिए शुरू हुआ यह आंदोलन जब चरम पर पहुंचा, तब पुलिस की निर्विचार गोलीबारी में छात्र सागर दत्ता और दीपक शर्मा की मौत हो गई। उन पर झूठे आरोप लगाए गए, लेकिन लंबे न्यायिक संघर्ष के बाद अदालत ने उन्हें पूरी तरह निर्दोष घोषित किया।
शहीद सागर–दीपक स्मृति मंच के सचिव कृष्ण चौधरी ने कहा कि “शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। यदि उस समय छात्रों ने आवाज न उठाई होती, तो आज की शिक्षा व्यवस्था और भी बदहाल होती। रामकृष्णनगर के लोग उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे।”
सभा में वक्ताओं ने कहा कि सागर–दीपक का आत्मबलिदान न केवल छात्र आंदोलन के इतिहास में, बल्कि पूरे रामकृष्णनगर की सामूहिक स्मृति में सदैव याद किया जाएगा।





















