राजदीप ग्वाला के नेतृत्व में दिल्ली धरने में शामिल हुए यादव महासभा असम के कार्यकर्ता

विशेष प्रतिनिधि दिल्ली, 19 नवंबर: भारतीय सेना में अहीर रेजिमेंट के गठन की मांग यादव समुदाय द्वारा लंबे समय से की जा रही है, और यह मांग विभिन्न महापंचायतों और सभाओं में लगातार उठाई जाती रही है। हाल ही में, 18-19 नवंबर 2025 को भी इस मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विशाल जनसभा/महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से हजारों यदुवंशी (यादव) शामिल हुए। असम से भी कई लोग राजदीप ग्वाला के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन में शामिल हुए। राजदीप ग्वाला के साथ लालन प्रसाद ग्वाला, भोला नाथ यादव, जय प्रकाश ग्वाला, सुवचन ग्वाला व दशरथ ग्वाला आदि शामिल हुए।
प्रमुख बिंदु:
लंबे समय से चली आ रही मांग: अहीर रेजिमेंट की मांग लगभग 100 वर्षों से उठाई जा रही है और धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है।
ऐतिहासिक आधार: इस मांग का मुख्य आधार 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांग ला (Rezang La) की लड़ाई है, जहां कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन की एक कंपनी के 120 में से 114 अहीर सैनिकों ने अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए शहादत दी थी। समुदाय का तर्क है कि जब सिख, जाट, गोरखा जैसी जाति-आधारित रेजिमेंट हैं, तो अहीरों की भी अपनी अलग रेजिमेंट होनी चाहिए।
महापंचायतें और विरोध प्रदर्शन: इस मांग को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों (हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड) में कई महापंचायतें, रैलियां और विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं।
राजनीतिक समर्थन: विभिन्न राजनीतिक दल, जैसे समाजवादी पार्टी, ने अपने घोषणापत्रों में इस रेजिमेंट के गठन का वादा किया है, जिससे यह मुद्दा राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बना हुआ है।
सरकारी रुख: हालांकि, सरकार की नीति के अनुसार, भारतीय सेना में भर्ती वर्ग, पंथ, क्षेत्र या धर्म के बावजूद सभी नागरिकों के लिए खुली है। अप्रैल 2024 में रक्षा राज्य मंत्री ने स्पष्ट किया था कि अहीर रेजिमेंट के गठन का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
यादव समुदाय का कहना है कि यह रेजिमेंट उनका हक है और वे इसे लेकर रहेंगे।





















