डिजिटल विचार -सुनील शर्मा
लो जी अब तो बंगाल में हद ही हो गई फसल बोये बीजेपी और काटे टीएमसी। कितने प्रेस से बीजेपी के दिग्गजों ने हल चलाया था आस पास के बरगद के पेड़ भी टीएमसी के आंगन से उखाड़कर अपने खेतों में सजा लिये थे। अब दीदी अधपकी फसलू को सैनिटाइजर से धो-धोकर टीएमसी के गोदामों में भर रही है। जो फसल गोदाम में जाने से इंकार कर रही है, उस पर हरे रंग के विदेशी टिड्डे छोड़ रही है। जो अभागे बरगद के पेड़ बची खुची राष्ट्रीयता को बचाने के लिए बीजेपी के आंगन में डेरा डालकर बैठे थे वह भी चमगादड़ों और गिद्धों के डर से वापिस हरे रंग के तम्बू में घुस गये हैं। सरकार मौन है न्यायालय से गुहार लगा रही है। हरे टिड्डे पूरे प्रदेश में आतंक मचा रहे हैं, अब आवश्यक हो गया है कि सरकार केन्द्र से कीटनाशकों का छिड़काव करे। प्रदेश सरकार भी राष्ट्रीयता के पवित्र जल की कुछ बौछारे छोड़े। अब तो बेचारी समस्याओं को भी शर्म महसूस होने लगी है। सरकार कुछ करती ही नहीं है। बेचारी मुंह छिपाये घूमती रहती है। आप की मर्जी है चाहो तो लाल किले पर अपनी मर्जी के रंग का झंडाफहरा दो, बलात्कार आगजनी तो सामान्य घटनाएं है। दरअसल सरकार समस्या की इतनी गहराी में घुस जाती है कि असल समस्या दिखनी बंद हो जाती है। देश का मध्यम वर्ग वह है जो मध्य में लटका हुआ है। सरकार
की-दृष्टि उठाती है तो उच्च वर्ग पर केन्द्रित हो जाती है, झुकती है तो कंगाल वर्ग की और झुक जाती है। अब यदि सरकार सामने की तरफ देखे तो यथार्थ में लटका हुआ मध्यम वर्ग प्रकट होगा। यह वह वर्ग है जो पूर्ण चेष्टा के पश्चात भी उच्च वर्ग की
तरफ नहीं जा पाता है। अब कंगाल वर्ग के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाने के मध्यम वर्ग की साल दो साल तो
लग ही जायेंगे। सरकार को चाहिए कि संसद भवन के बाहर एक चबूतरे का भव्य निर्माण करवाये जहाँ देश का मध्यम वर्ग आदर और सम्मान से बैठ कर भीख मांग सके। दोहरा लाभ होगा, भीख न भी मिली तो भी कोई दल आकर उठा लेगा। आखिर भारत महान के नागरिक हैं सरकार ने एक वोट का अधिकार तो दिया है। अपने अस्तित्व को बेच कर तो खा ही सकते हैं। सरकार का पेट्रोल और डीजल के प्रति प्रेम इतना बढ़ गया है कि नवविवाहिता की तरह धीरे धीरे सरका और सरका रही है। प्रतिदिन पच्चीस पचास पैसे मांगकर सौ के पार पहुंच गया है। अब सरकार से निवेदन है कि देश को हालैण्ड या डेनमार्क घोषित कर दे ताकि इसी भ्रम में जनता बाईक और मोटर से साइकिल की तरफ खिसक सके। फ्लिपकार्ट और एमेजन को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि छोटे व्यापारी भिखारियों की फौज में शामिल हो सके। यही तो हमारे डिजिटल इंडिया का सपना और रास्ता है। सुरसा को प्रोत्साहन देना चाहिए कि मुख और बड़ा करे ताकि कुटीर उद्योग उसमें समा सके। सबका साथ उनका विकास यही सत्य है। ईश्वर किसी नेता को बेरोजगार न करे खास तौर पर जब वह सत्ता का स्वाद चख चुका हो। वह बिना पिन के हैंड ग्रेनेड की तरह हो जाता है, बिना वजह जगह जगह फटका रहता है। चौबीसों घटे अपनी इन्द्रियों को सक्रिय अवस्था में रखकर सत्ता पक्ष को घूरता रहता है। मोहन भागवत जी ने भारत के लोगों के डीएनए को एक बोल दिया तो समस्त विपक्ष अपना अपना राग छेड़ने लग गया। कोई तबले पर बैठ गया और सितार और सारंगी बजाने लगा। अब भागवतजी ने इतना कठिन और तकनीकी रूप से उन्नत बयान किया है। बेचारे विपक्षी दल आज तक तो डीएनए को भी हरा और भगवा ही मान रहे थे, शोध जारी है। उत्तर प्रदेश के चुनाव आने वाले हैं, यदि सभी भारतीय बन गये तो विपक्ष का जनाजा उठना स्वाभाविक है। बेचारे विपक्षी दल अपनी अपनी दुकानों को जाति धर्म संप्रदाय और डीएनए से भर कर बैठ गये हैं। कहीं अल्लाह और राम एक हो गये तो इनकी स्थिति कोरोना के तीसरी लहर के मरीज की तरह हो जाएगी। जिसके बारे में सभी अनभिज्ञ है। बहिन मायावती एक अरसे के पश्चात टीवी पर प्रकट हुई देखकर अच्छा लगा, देखने में मुख्यमंत्री की तरह लगी। कहते हैं कि कमल कीचड़ में खिलता है तो फिर बंगाल में क्यों नहीं खिला? इसे किसानों की नाकामी कहे या धरती का प्रतिशोध ? जहाँ जहाँ कीचड़ है वहाँ कमल का खिलना अनिवार्य है। परन्तु कीचड़ का भाग्य नहीं होना चाहिए। अधपके पौधों की रक्षा करना किसान का दायित्व है। . (लेखक राष्ट्रीय स्तर के लेखक एवं व्यंग्यकार हैं) मो.नं.9435171922