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गन्ना-धान की फसल तबाह, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे: पश्चिम कार्बी आंग्लोंग संकट तेज़, वन विभाग कब तक रहे गया मौन?

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 पश्चिम कार्बी आंग्लोंग जिले के साउदर्न फॉरेस्ट रेंज के अंतर्गत बेलबाडी और मैलू रायसेन क्षेत्र में पिछले कई दिनों से दो जंगली हाथियों के झुंड गन्ने के खेतों, पके धान और सब्जियों की फसलों में डेरा डाले हुए हैं। हाथियों की लगातार मौजूदगी ने ग्रामीणों और किसानों के जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है और पूरे इलाके में भय का माहौल बना हुआ है।
हाथी दिन-रात फसलों पर धावा बोल रहे हैं। खड़े धान, गन्ना और सब्जियों की फसल को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं। कई किसानों की एक रात में ही पूरी मौसमी फसल बर्बाद हो गई। बेलबाडी नंबर-२ गाँव के एक किसान ने कहा, “हम रात भर मशाल, पटाखे और ढोल लेकर खेतों की रखवाली करते हैं, फिर भी हाथी आ जाते हैं। हम पूरी तरह लाचार हैं।”
स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए स्थिति और भी भयावह हो गई है। कई स्थानीय स्कूलों के बच्चे अचानक हाथी हमले के डर से कक्षाओं में जाना बंद कर रहे हैं। बेलबाडी के एक ग्रामीण ने हमारे संवाददाता को बताया, “बच्चे दहशत में हैं। कोई नहीं जानता कि हाथी कब और किस दिशा से आकर हमला कर देंगे।”
स्थानीय लोग साउदर्न रेंज फॉरेस्ट ऑफिस, खैरोनी की निष्क्रियता पर भारी गुस्सा जता रहे हैं। बार-बार शिकायत करने के बावजूद होजाई जिले के लुमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट की ओर हाथियों को खदेड़ने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि वनकर्मी केवल चक्कर लगाकर चले जाते हैं, कोई ठोस कदम नहीं उठाते है।
खुलासा हुआ है कि यही हाथी झुंड डेढ़ महीने पहले खेरोनी क्षेत्र में भी इसी तरह आतंक मचाते रहे थे। इससे वन विभाग की मानव-हाथी संघर्ष को नियंत्रित करने की दीर्घकालिक रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पीड़ित ग्रामीणों और किसानों ने निम्नलिखित मांगें रखी हैं :- प्रशिक्षित हुल्ला पार्टी, कुंकी हाथी या नियंत्रित पटाखों के साथ तुरंत हाथी भगाओ अभियान चलाकर झुंडों को सुरक्षित रूप से लुमडिंग रिजर्व फॉरेस्ट में वापस भेजा जाए, फसल व संपत्ति के नुकसान का तत्काल आकलन कर सरकार के मानकों के अनुसार प्रभावित किसानों को तुरंत मुआवजा दिया जाए और हमरें डिवीजन के सदर्न रेंज के पुराने संघर्ष क्षेत्रों में सोलर फेंसिंग या अन्य स्थायी समाधान तुरंत लगाए जाएं।
जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती, बेलबाडी-मैलू रायसेन की सैकड़ों परिवार अपनी फसलें और घरों को लुटेरा हाथियों से बचाने के लिए रातें जागकर गुजार रहे हैं |इलाके के लोगों ने कार्बी आंग्लोंग स्वायत्त परिषद (काक) और असम सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने और इस संकट को किसी बड़े हादसे में बदलने से पहले समाधान करने की गुहार लगाई है।

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