सिलचर, 22 नवम्बर

असम विश्वविद्यालय में शनिवार को दो सप्ताह तक चले रिफ्रेशर कोर्स का समापन समारोह गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षणकेंद्र के तत्वावधान में संस्कृत विभाग और समाजकार्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस रिफ्रेशर कोर्स की शुरुआत 10 नवम्बर को हुई थी। देश के विभिन्नराज्यों से कुल 106 प्रतिभागियों ने इसमें पंजीकरण कराया था, जिनमें से 96 प्रतिभागी इस कोर्स को सफलता के साथ पूर्ण करने में सक्षम रहे। कार्यक्रम कोहाइब्रिड मोड—ऑनलाइन और ऑफलाइन—दोनों माध्यमों में संचालित किया गया, जिससे देशभर के शिक्षकों और शोधार्थियों को लाभ मिला।
कोर्स का केंद्र विषय था ‘Recent Trends and Challenges in Teaching & Research in Language Studies and Social Sciences: An Indian Knowledge System Perspective’।
इस विषय के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए कुल 48 शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं औरविशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषा-अध्ययन, शिक्षण पद्धति, सामाजिक विज्ञानों के समकालीन प्रश्न, अनुसंधान पद्धति, और तकनीकी साधनों के उपयोग परविस्तृत व्याख्यान दिए।

सत्रों में संस्कृत, हिन्दी, बंगला, अरबी, शिक्षा विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्त्व, प्रबंधन, समाजकार्य, पांडुलिपि विज्ञान, लाइब्रेरी साइंस, दर्शन, कृत्रिमबुद्धिमत्ता और जनसंचार जैसे विविध क्षेत्रों से विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह रही कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा के आलोकमें आधुनिक शैक्षिक एवं सामाजिक चुनौतियों का समाधान खोजने का प्रयास किया गया।
समापन समारोह की अध्यक्षता असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृतविश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में गुरुचरन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. निरंजन रॉय ने शिरकत की।
कार्यक्रम में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के निदेशक आर. बालकृष्णन, उपनिदेशक अजय कुमार सिंह, IQAC के निदेशक पीयूष पांडे, संस्कृत विभागकी अध्यक्ष डॉ. शांति पोखरेल, तथा समाजकार्य विभाग के अध्यक्ष गंगाभूषण एम. मोलंकल भी उपस्थित रहे।
समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया। इसके बाद अतिथियों का उत्तरीय पहनाकर सम्मान किया गया।
कोर्स के सह-संयोजक एवं समाजकार्य विभाग के डॉ कैवल्य देसाई ने दो सप्ताह के कार्यक्रम का विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस रिफ्रेशरकोर्स ने प्रतिभागियों के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षण-शोध पद्धतियों के मध्य एक सार्थक सेतु का निर्माण किया।
प्रतिभागियों ने भी मंच पर अपने अनुभव साझा किए। कई शिक्षकों ने इस रिफ्रेशर कोर्स को अपनी शैक्षणिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया तथा कार्यक्रममें शामिल विविध विषयों और विशेषज्ञों की गहन समझ की प्रशंसा की।
मुख्य अतिथि प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा की वैश्विक प्रासंगिकता और आज के समय में उसके नवपरिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतकी शास्त्रीय ज्ञान-व्यवस्था आज भी अनुसंधान और दर्शन को दिशा देने में सक्षम है।
विशिष्ट अतिथि प्रो. निरंजन रॉय ने भारतीय ज्ञान-संस्कारों की चर्चा करते हुए छात्र-केंद्रित शिक्षण पद्धति पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा मेंविद्यार्थियों को केंद्र में रखकर शिक्षण प्रक्रिया का पुनर्गठन आवश्यक है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने इस तरह के कोर्सों को अत्यंत उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे शिक्षकों और शोधकर्ताओं को नएशैक्षणिक दृष्टिकोण प्राप्त होते हैं। उन्होंने आयोजन समिति की प्रशंसा करते हुए भविष्य में और भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया।
समारोह के अंत में कोर्स के सह-संयोजक एवं संस्कृत विभाग के प्रो. गोविंद शर्मा ने ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से जुड़े सभी प्रतिभागियों, विशेषज्ञों औरआमंत्रित अतिथियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दो सप्ताह तक चले इस शैक्षणिक उत्सव ने ज्ञान के अनेक नए द्वार खोले हैं।





















