फॉलो करें

असम विश्वविद्यालय में रिफ्रेशर कोर्स का समापन, 96 प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक पूरा किया प्रशिक्षण

48 Views

शिलचर, 23 नवम्बर: असम विश्वविद्यालय में मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र के तत्वावधान में संस्कृत एवं समाजकार्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो सप्ताह के रिफ्रेशर कोर्स का समापन शनिवार को गरिमामय वातावरण में हुआ। यह कोर्स 10 नवम्बर से 22 नवम्बर तक हाइब्रिड मोड—ऑनलाइन एवं ऑफलाइन—में संचालित किया गया।

इस राष्ट्रीय स्तरीय रिफ्रेशर कोर्स में देशभर के 106 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 96 प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया। कोर्स का मुख्य विषय था—
“Recent Trends and Challenges in Teaching & Research in Language Studies and Social Sciences: An Indian Knowledge System Perspective”

दो सप्ताह के दौरान कुल 48 शैक्षणिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें विभिन्न राज्यों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषा-अध्ययन, शिक्षण पद्धति, अनुसंधान विधि, सामाजिक विज्ञानों की समकालीन चुनौतियों और तकनीकी उन्नति पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में संस्कृत, हिन्दी, बंगला, अरबी, शिक्षा विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्त्व, प्रबंधन, समाजकार्य, दर्शन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पांडुलिपि विज्ञान व जनसंचार जैसे विविध विषयों के विशेषज्ञ शामिल हुए।

समापन समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. राजीव मोहन पंत ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. सिद्धार्थ शंकर सिंह, पूर्व कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में गुरुचरन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. निरंजन रॉय ने अपने विचार व्यक्त किए।

समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों—आर. बालकृष्णन (निदेशक, मालवीय मिशन), अजय कुमार सिंह (उपनिदेशक), पीयूष पांडेय (निदेशक, IQAC), डॉ. शांति पोखरेल (अध्यक्ष, संस्कृत विभाग) और गंगाभूषण एम. मोलंकल (अध्यक्ष, समाजकार्य विभाग)—की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

कोर्स के सह-संयोजक डॉ. कैवल्य देसाई ने विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह रिफ्रेशर कोर्स भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षण-शोध के बीच सार्थक सेतु साबित हुआ। प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और इस प्रशिक्षण को अपनी शैक्षणिक यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव बताया।

मुख्य अतिथि प्रो. सिंह ने भारतीय शास्त्रीय ज्ञान-व्यवस्था की वैश्विक प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत की परंपरागत ज्ञान-व्यवस्था आज भी अनुसंधान व नवविचार का महत्वपूर्ण आधार है। विशिष्ट अतिथि प्रो. रॉय ने छात्र-केंद्रित शिक्षण पद्धति को समय की आवश्यकता बताया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. पंत ने इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अत्यंत उपयोगी बताते हुए भविष्य में और अधिक शैक्षणिक आयोजन करवाए जाने पर बल दिया।

समारोह के अंत में सह-संयोजक प्रो. गोविंद शर्मा ने सभी प्रतिभागियों, आमंत्रित अतिथियों और विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह दो सप्ताह का शैक्षणिक उत्सव ज्ञान और शोध के नए मार्ग खोलने वाला सिद्ध हुआ।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल