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पांच सौ साल से चले आंदोलन के बाद पांच साल मे अयोध्या मे राम मन्दिर का शिलान्यास, डेढ साल पहले प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन फिर 25 नवंबर को ध्वजारोहण किया गया। यह राम भक्ति का भारतीय जनता का विजय उत्सव है। इस आंदोलन मे पीढ़ी दर पीढ़ियों का सपना था जो आज पूरा हुआ। सपने कौन देखता है क्यों देखता है लेकिन शायद पूरा ना हो लेकिन यह यश किसको मिलना है यह सब समय निर्धारित रहता है।
इतिहास के पन्नों मे कंप्यूटर की तरह सब विधिवत संरक्षित रहता है। उन लोगों की तपस्या बलिदान ना जाने किस व्यक्ति अथवा समुह द्वारा संपूर्ण करने के बाद नम आँखों से उन्हें याद किया जाता है। यह परंपरा बहुत अच्छी है। प्रधानमंत्री संघ प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 500 सालों के सफरनामा का संक्षिप्त ब्यौरा दिया।
ऐसा मंदिर सदैव लोगों के लिए ऐसा विशेष रूप से याद किया जायेगा कि इस मंदिर का इतिहास क्या है।
बलिदानी चाहते तो ऐसे असंख्य मंदिरों का निर्माण करवा सकते थे जो सिर्फ धन संग्रह से श्रम से बन सकते थे लेकिन उससे यह आनंद एवं भक्ति रस नही मिलता।
पश्चिमी संस्कृति मे डुबे लोगों के लिए आनंद भक्ति एवं तनाव से मुक्त होने के लिए यह पर्यटन स्थल ऐसा बनेगा जिससे करोड़ों लोगों को लाभ मिलेगा वहीँ हजारों लोगों तथा सरकार को भी काफी काम मिलेगा। राजस्व मिलेगा।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653





















