शिलचर, 26 नवंबर: जहाँ चुने हुए जनप्रतिनिधियों को सुनिश्चित पेंशन की गारंटी दी जाती है, वहीं सरकारी कर्मचारियों को अनिश्चित पेंशन व्यवस्था के हवाले क्यों कर दिया गया है? क्या यह कर्मचारियों के साथ विश्वासघात और धोखा नहीं है? मंगलवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर सरकारी कर्मचारियों ने इसी सवाल को उठाते हुए सरकार की भेदभावपूर्ण पेंशन नीति के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। उनका नारा गूंज उठा: “No NPS, No UPS, Only OPS.”
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन योजना आंदोलन (NMOPS) के बैनर तले आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया। असम से भी नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने इस कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराई। असम टीम में राज्य सलाहकार कानू धर, अध्यक्ष भवनानंद बोऱा, महासचिव मुकुल कुमार दास तथा सदस्य मोरफत अली, भास्करज्योति मेधी, जाकिर हुसैन, नजरुल इस्लाम, मनोज कुमार डेका राजा और अजीज़ुल हक शामिल थे।
प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) या एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की जोरदार मांग उठाई गई। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आगे और भी बड़े आंदोलन किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि असम के राज्य सलाहकार कानू धर, भले ही असम विश्वविद्यालय में पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आते हैं, लेकिन सरकार के इस कथित भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ वे शुरू से ही मुखर रहे हैं।





















