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वैसे तो तुंबे खारे ही होते हैं क्योंकि तुंबे की बेल ही ऐसी होती है कि उससे उगने वाले सारे ही तुंबे खारे होगें फिर यह कहावत क्यों बनी? क्यों व्यंगात्मक अंदाज मे कहा जाता है जबकि सभी जानते हैं कि विष वृक्ष की उपज क्या होगी।
ईमली सैतान पृवृति की इसलिए थी कि सभी बहन भाई एक से बढकर एक खुरापाती थे।
इंद्रावती की आठ बेटियां थी ईश्वर की कृपा से एक बेटा पवन सिंह हुआ जो काफी धर्मात्मा था अपने खानदान के संस्कार के कारण समाज मे हर क्षेत्र मे नाम कमा रहा था लेकिन ईमली से शादी करने के बाद ना तो माँ इंद्रावती की नाही ईमली के नजरों मे खरा उतर पाया। धन था लेकिन ईमली के कारण परिवार मे बेइज्जती होती। इंद्रावती माँ ने समझाया कि बेटा ईमली सैतान पृवृति की है फिर भी तुझे अपने बच्चों को नियंत्रित रखकर दादा टोडरमल का नाम उंच्चा करना।
ईमली के सात बच्चे हुए काफी सुंदर थे लेकिन हृदय गति रुकने के कारण पवन सिंह का निधन हो गया। ईमली इतना धन देखा नहीं था फिर भी समेट लिया। बेटे चारों इतने दुष्ट थे कि बातचीत मे तो माहिर थे। पैदा भी बाप खुब छोड़ कर गया लेकिन अशिक्षा कुसंस्कार के कारण अनैतिकता मे सब चले गए। लोग बचाते रहे लेकिन कब तक बचाते।
समाज परिवार वाले तंग आने लगे तो एक दिन भुआ दयावंती गुस्से मे बोल पङी कि भाभी तेरी छोरियां तो किसी पराये घरों मे चली गई। बहुंए भी सब अच्छे घराने से आयी है जो चूं भी नहीं करती नहीं। लेकिन तेरे सारे तुंबङे जहरीले है। सबकुछ होते हुए भी झुक फरेब लोगों को भ्रमित करने से समाज मे बदनाम है। सरकार को चुना लगाते हैं एक दिन पकड़ लिए जायेंगे। अब बचाने वाले भी नहीं रहे।
ईमली बोली ज्यादा भाषण की जरूरत नहीं है यह तो मुझे भी मालूम है कि भविष्य अंधकारमय है लेकिन अब इतने बड़े हो गये कि किसी की सुनते भी नहीं। दयावंती भुआ उठकर चलने लगी कि अचानक पुलिस आकर चारों बेटों को जीप मे बिठाकर ले गयी।
मदन सुमित्रा सिंघल
पत्रकार एवं साहित्यकार
शिलचर असम
मो 9435073653





















