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चाय बागान के युवाओं के भविष्य संकट में देख सक्रिय हुआ बराक चाय श्रमिक यूनियन 

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प्रे. स. शिलचर, 2 दिसंबर: हाल ही में, असम सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में, बराक घाटी के चाय समुदाय के उम्मीदवारों को उनकी जाति/पदनाम संदिग्ध माने जाने के कारण नियुक्ति पत्र डाउनलोड करने की अनुमति नहीं दी गई। बराक चाय श्रमिक यूनियन इसको लेकर सक्रिय हो गई। यूनियन का स्पष्ट रूप से कहना है कि चाय बागानों के भविष्य खतरे में नहीं पड़ना चाहिए। बराक टी यूथ वेलफेयर सोसाइटी के प्रयास से बराक चाय श्रमिक यूनियन कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। चाय जनजाति मामलों सहित श्रम मंत्री रूपेश ग्वाला द्वारा आयोजित सभा में उपरोक्त मुद्दे को उठाने के साथ इस समस्या की समाधान की मांग की जायेगी।
यूनियन के महासचिव राजदीप ग्वाला ने कहा कि चाय बागान कम्युनिटी के उम्मीदवारों के सहायता के लिए यूनियन मजबूती के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि ये कोई नया मामला नहीं है, विगत कई वर्षों से यह समस्या चली आ रही है। जबकि इस समस्या का निदान के लिए यूनियन की ओर से मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री एवं संबंधित मंत्रालयों को बार बार ज्ञापन सौंपा गया, ताकि इसका सही समाधान हो। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि यदि उचित पहल हो तो सही समाधान अवश्य होगा। उन्होंने उम्मीदवारों को निराश न होकर सही दस्तावेज प्रस्तुत करने का आग्रह किया। इस अवसर पर बराक घाटी के शिक्षक पद प्रार्थी उपस्थित थे। इसके अलावा बराक चाय श्रमिक यूनियन के सह साधारण सम्पादक रबि नुनिया व बाबुल नारायण कानु, सह सम्पादक दुर्गेश कुर्मी, सुबचन ग्वाला, राधेश्याम कोइरी, मदन मोहन प्रजापति, विद्यासागर यादव, प्रभु नाथ वर्मा और अन्य लोग उपस्थित थे और चर्चा में भाग लिया।

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