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प्रशासन की उदासीनता पर जनता में तीखा रोष
हीरक बनिक, रामकृष्णनगर, 3 दिसम्बर: रामकृष्णनगर बाज़ार के कई प्रवेश मार्ग दिन प्रतिदिन लगभग जाम की स्थिति में बदलते जा रहे हैं। सुबह से लेकर देर रात तक बाज़ार के मुख्य रास्तों पर अनियंत्रित रूप से खड़ी रहती हैं, सैकड़ों बाइक और स्कूटी। परिणामस्वरूप सामान्य ग्राहक से लेकर दुकानदार—सभी को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बाइक–स्कूटी की अवैध और अव्यवस्थित पार्किंग न केवल मार्ग अवरुद्ध कर रही है, बल्कि बाज़ार में प्रवेश की सामान्य गति भी बाधित कर रही है। आपात स्थिति में किसी का तेज़ी से बाज़ार में प्रवेश कर पाना मुश्किल हो रहा है। वहीं, दुकानदारों के लिए माल लाने–ले जाने का काम बेहद दुष्कर बन गया है। स्थानीय व्यापारियों का आरोप है कि उन्होंने कई बार नगरपालिका और प्रशासन को शिकायतें दीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाज़ार के प्रवेश मार्ग पर स्थायी पार्किंग प्रतिबंधित होने के बावजूद वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। रास्ते के दोनों ओर कतार में खड़ी बाइकों के कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। विशेषकर सुबह और शाम के व्यस्त समय में स्थिति और भयावह रूप ले लेती है। ग्राहकों के अनुसार, बाज़ार आने से पहले ही जाम में फंस जाना रोज़मर्रा की समस्या बन गई है। प्रवेश मार्ग बाधित होने से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को लेकर बाज़ार आना लगभग असंभव हो गया है। कई ग्राहकों का कहना है—“बाज़ार में घुसने से आसान तो बड़े शहरों के ट्रैफिक जाम को पार करना है।” व्यापारियों की मांग है कि बाज़ार के प्रवेश मार्ग पर निर्दिष्ट पार्किंग स्थल बनाया जाए, आवश्यकता पड़ने पर ट्रैफिक कर्मियों की नियुक्ति की जाए और नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाए। व्यापारियों का कहना है—“बाहर से आने वाले ग्राहक बाज़ार तक नहीं पहुँच पा रहे। बिक्री पर सीधा असर पड़ रहा है। शिकायत के बावजूद प्रशासन मानो कुम्भकर्ण की नींद सो रहा है।” उधर, स्थानीय निवासियों का आरोप है कि रामकृष्णनगर नगरपालिका और प्रशासन लम्बे समय से इस समस्या की अनदेखी कर रहा है। जनता का सवाल है—“आख़िर कब प्रशासन आम नागरिकों की समस्याओं पर ध्यान देगा?” अब देखना यह है कि आम जनता का आक्रोश किस स्तर पर पहुँचेगा, तब जाकर प्रशासन जागेगा और बाज़ार में सामान्य आवाजाही बहाल होगी। रामकृष्णनगर के इस प्रमुख व्यापारिक केंद्र के प्रवेश मार्ग का इस तरह अवरुद्ध रहना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा रहा है।





















