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सदन में सीएम ने फिर पुलिस के आत्मरक्षा में गोली चलाने का किया समर्थन

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 मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व शर्मा अपराधियों के साथ पुलिस की मुठभेड़ के संबंध में गुरुवार को फिर से सदन में नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया के एक सवाल के जवाब में मुखर होकर पुलिस की कार्रवाइयों का समर्थन किया।
हाल ही में पुलिस मुठभेड़ों को लेकर राज्य की राजनीति गर्म हो गई है। विपक्ष पार्टी एआईयूडीएफ और कांग्रेस ने इस संबंध में विशेष रूप से सदन में सत्तारूढ़ दल से स्पष्टीकरण मांगा है। यहां तक कि मानवाधिकार आयोग ने भी मुठभेड़ के खिलाफ अपना मुकदमा दर्ज कराया है। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा इस मुठभेड़ के संबंध में गुरुवार को सदन में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया के शून्यकाल में एक सवाल के जवाब में मुखर हो गये।
विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने कहा, पुलिस को आत्मरक्षा में अपराधी को गोली मारना कोई गलत कार्य नहीं है। क्योंकि, पुलिस के पास अपराधी को उस समय कानून के बारे में बताने का समय नहीं होता है। सीआरपीसी ने पुलिस को जो अधिकार दिए हैं उसी के अनुसार कार्रवाई हो रही है। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल में अब तक 504 गो तस्करों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस अगर चाहें तो गोली मार सकती थी। लेकिन, हम जब कभी भी पुलिस को वह शक्ति नहीं दे सकते।
मुख्यमंत्री ने कहा, पुलिस कानून के अनुसार काम कर रही है। अगर पुलिस कानून तोड़ेगी तो हम पुलिस पर भी सवाल खड़ा करेंगे। मोरीगांव में नृत्या हत्या और बलात्कार करने वाला अपराधी पुलिस की कस्डटी से भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उसके पैर पर गोली मारने के लिए बाध्य हो गयी। राज्य में कानून का राज चल रहा है और सब कुछ कानून के अनुसार चलेगा।
उन्होंने कहा कि कानून के तहत काम करने वाली पुलिस का सदन को धन्यवाद न कर मानवाधिकार को लेकर सवाल करना ठीक नहीं है। लेकिन, हम पुलिस के साथ पूरी तरह से खड़े रहेंगे। अगर पुलिस गलत काम करेगी तो इसी तरह से हम उसकी आलोचना करेंगे। मैं असम पुलिस को पिछले दो महीनों में उनके काम के लिए धन्यवाद देता हूं। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं डीजीपी, एडीजीपी का आह्वान करता हूं कि किसी भी निरापराधी, या निर्दोष व्यक्ति को पुलिस सजा न दे।
मुख्यमंत्री डॉ सरमा ने सदन में कहा कि हम असम पुलिस के साथ स्पष्ट रूप से खड़े हैं। पुलिस को जितना संभव हो उतनी आजादी दी गई है। इसलिए सभी को कानून व्यवस्था, जांच आदि को नियंत्रित करने में पुलिस का सहयोग करना चाहिए। राज्य के बाहर से तस्करी करने वाले मवेशियों और तस्करी की शराब को सीमा चौकी पर रोकना होगा। अगर असम में प्रवेश नहीं करने पर पुलिस को मामला दर्ज नहीं करना चाहिए।

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